कानूनी दांव पेचों में फंसे सांसद आजम खां को 81 केसों में जमानत मिल चुकी है, फिर भी वह जेल से रिहा नहीं हो पा रहे हैं। इस समय उनके विरूद्ध कोर्टों में 85 केस विचाराधीन हैं। इनमें चार केसों में अभी तक जमानत अर्जी मंजूर नहीं हो सकी है। एक मुकदमे में तो अदालत से भी जमानत खारिज हो गई है।
आजम खां करीब 11 माह से बेटे अब्दुल्ला सहित सीतापुर जेल में हैं। उनकी पत्नी शहर विधायक डॉ. तजीन फात्मा भी दस माह बाद जेल से छूटी हैं। आजम खां के विरूद्ध वर्ष 2019 में बड़े पैमाने पर मुकदमे दर्ज हुए। लोकसभा इलेक्शन के दौरान आचार संहिता उल्लंघन और भड़काऊ बयान देने में 15 मुकदमे लिखे गए तो बाद में जौहर यूनिवर्सिटी के लिए जमीने कब्जाने के 30 मुकदमे दर्ज हुए। इसके अलावा 12 मुकदमे घोसियान प्रकरण में दर्ज हुए।
रिपोर्ट में इल्जाम लगाया गया कि सपा शासनकाल में आजम खां के कहने पर घोसियान बस्ती में बने मकानों को तोड़कर लूटपाट की गई और उनके स्कूल के लिए जमीन पर कब्जा किया गया। भैंस चोरी, बकरी चोरी के भी आरोप लगे। आजम खां के समर्थकों पर 11 मुकदमे डूंगरपुर मामले में दर्ज कराए गए।
यहां पहले लोगों के मकान बने थे, जिन्हें नगर पालिका की जमीन पर बताकर तोड़ दिया और गरीबों के लिए आसरा आवास बनवा दिए गए। इस केस में आजम खां नामजद नहीं थे। किंतु पुलिस ने उनके नमाजद समर्थकों को गिरफ्तार किया तो उन्होंने आजम खां के इशारे पर वारदात करने की बात कही। इसपर इन मामलों में भी आजम खां का शामिल कर दिया। इन सभी में उन्हें एक हफ्ते के भीतर जमानत मिल चुकी है।