हिन्दू पंचांग में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। बसंत पंचमी माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनायी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का अवतरण हुआ था। इसके साथ ही नवरात्रि में दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में भी मां सरस्वती की पूजा कई जाती है।
इस वर्ष पंचमी तिथि 5 फरवरी को शुरू हो रही है। इस दिन मकर राशि में सूर्य और बुध के रहने से बुधादित्य योग बन रहा है जो बेहद शुभ फल दायी है। इस दिन सभी ग्रह चार राशियों में विद्यमान रहेंगे। ऐसे में इस दिन केदार जैसा शुभ योग भी बनेगा।
बसंत पंचमी के दिन सुबह से लेकर दोपहर तक है शुभ मुहूर्त है ऐसे में सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त पांच फरवरी की सुबह 6 बजकर 43 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजकर 43 मिनट तक रहेगा है। चीन इस दौरान पूजन के लिए सबसे अधिक शुभ समय 5 फरवरी को सुबह 6.43 से दोपहर 12.35 तक रहेगा।
देवी सरस्वती सत्व गुण संपन्न विद्या की अधिष्ठात्री कहलाती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में वसंत पंचमी तिथि से अक्षराम्भ, विद्यारंभ को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। माता अपनी चार भुजाओं में एक हाथ में माला, दूसरे में पुस्तक और दो अन्य हाथों में वीणा लिए हुए है।
सुरों की अधिष्ठात्री देवी होने की वजह से इनका नाम सरस्वती पड़ा। वसंत पंचमी को मां सरस्वती के साथ-साथ भगवान गणेश, लक्ष्मी, कॉपी, कलम और वाद्ययंत्रों की पूजा करना भी शुभ होता है। पूजा में मां सरस्वती को अर्पण के बाद श्रद्धालु एक दूसरे को अबीर और गुलाल लगाते हैं।