नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिंग वोटिंग मशीन ( ईवीएम ) और वोटर वेरिफियेबिल पेपर ऑडिट ट्रेल ( वीवीपैट ) से जुड़े मामले और बैलेट पेपर से चुनाव करवाने समेत सभी याचिकाओं को ख़ारिज किया है। सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि आंख बंदकर चुनाव की प्रक्रिया पर भरोसा ना करने से बिना वजह शक पैदा हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया कि सिंबल लोडिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) को सील कर दिया जाना चाहिए और उन्हें कम से कम 45 दिनों के लिए सहेज कर रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि उम्मीदवारों के पास परिणामों की घोषणा के बाद ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर प्रोग्राम को पाने का विकल्प होगा। इसके लिए उम्मीदवार को नतीजों की घोषणा के सात दिनों के अंदर आवेदन करना होगा। इसका खर्च भी उम्मीदवार को खुद को उठाना होगा।
गौरतलब है कि दो दिन की लगातार सुनवाई के बाद ऐसी की पीठ ने 18 अप्रैल को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले आला अदालत ने चुनाव आयोग से कुछ बातों को लेकर स्पष्टीकरण मांगा था। आला अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि सिर्फ संदेह के आधार पर वह परमादेश नहीं दे सकता और चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि हमारा कहना था कि ईवीएम की मेमरी से छेड़छाड़ की जा सकती है। इसलिए ये ज़रूरी है कि वीवीपैट की जांच के साथ ही निकलने वाली पर्ची को बैलेट बॉक्स में डालकर मिलान करना चाहिए। प्रशांत भूषण ने कहा है कि चुनाव आयोग हमारी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
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