Basant Panchami : जानिए इस दिन क्यों पहनते हैं पीत वस्त्र, क्या है महत्व

img

बसंत ऋतु में प्रकृति पीली चुनरी ओढ़े प्रतीत होती है। सूरज की पीली किरणों के कारण क्षितिज तक पीला रंग फैल जाता है। खेतों में सरसों के फूल इतराते नजर आते हैं। प्रकृति का यह पीलापन चेतना की ओर लौटने का संकेत है। बसंत पंचमी के दिन पीट परिधान धारण की परंपरा है। पीले कपडे पहनना एक तरह से प्रकृति के साथ एकाकार हो जाने का प्रतीक है। अर्थात हम प्रकृति से अलग नहीं है। आध्यात्म की दृष्टि से पीला रंग प्राथमिकता को दर्शाता है।

Yellow Dress Basant Panchami

माना जाता है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति के समय तीन रंग के प्रकाश लाल, पीले और नीले की आभा थी। इनमें से पीली आभा सबसे पहले दिखी। इसीलिए बसंत पंचमी को पीले कपड़े पहनने की परंपरा है। इससे सुखद अनुभूति की प्राप्ति होती है। पीला रंग नवीनता और सकारात्मकता लाने के साथ ही जड़ता को दूर करता है। इसलिए पीला रंग बसंत का अभीष्ट है। इसके अतिरिक्त पीला रंग हमारे स्नायु तंत्र को संतुलित और मस्तिष्क को सक्रिय रखता है।

पीले रंग से आपको स्फूर्ति मिलेगी

चिकित्सा विज्ञान के अनुसार रंगों का हर किसी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सबसे पहला प्रभाव पड़ता है। अगर आप किसी तनाव भरे माहौल से निकल कर आ रहे हैं तो पीले रंग से आपको स्फूर्ति मिलेगी। पीला रंग जोश, ऊर्जा एवं उत्साह का प्रतीक माना जाता है। रंग चिकित्सा के अनुसार कार्य स्थल पर पीले फूलों वाले पौधे रखने चाहिए। घरों की रसोई में भी पीले रंग का प्रयोग किया जाता है। यह मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के साथ ही स्वाद व सुगंध का भी प्रतीक है। पीले रंग के उपयोग से रक्त में लाल और श्वेत कणिकाओं के विकास के साथ ही रक्त संचार भी बढ़ता है। हल्दी को इसीलिए विशेष शुभ माना जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि ऋतुओं में मैं बसंत हूं। श्रीकृष्ण का यह कथन माघ शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि से प्रारंभ होने वाले बसंत ऋतु के महत्व का बोध कराता है। यदि बसंत ऋतु न होती तो पीला रंग न होता। हर्ष और उल्लास न होता। प्रेम भी तो पीत रंग से अनुप्राणित होकर ही अंकुरित होता है।

Related News