Up Kiran, Digital Desk: राजनीति में अनुशासन का अपना एक अहम स्थान होता है, और कभी-कभी बड़ी पार्टियाँ यह संदेश देने के लिए कड़े फैसले भी लेती हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मिली प्रचंड जीत के बाद, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बिहार में एक बड़ा एक्शन लिया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह (RK Singh), विधान पार्षद (MLC) अशोक अग्रवाल (Ashok Agarwal) और कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल (Usha Agarwal) को पार्टी विरोधी गतिविधियों (anti-party activities) में शामिल होने के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित (suspended) कर दिया है. इस कदम से भाजपा ने साफ संदेश दिया है कि चुनावों के दौरान किसी भी तरह की अनुशासनहीनता या भितरघात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
कौन हैं ये नेता और उन पर क्या हैं आरोप?
आरके सिंह (RK Singh): आरा के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय ऊर्जा मंत्री, आरके सिंह पर आरोप है कि वे चुनाव के दौरान पार्टी के निर्देशों और गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ कई बार खुले तौर पर बयानबाजी कर रहे थे उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दों पर तीखे आरोप लगाए और बिहार सरकार पर ₹62,000 करोड़ के बिजली घोटाले का भी आरोप लगाया था, जिससे पार्टी असहज थी. इसके अलावा, उन्होंने कथित तौर पर प्रशांत किशोर के बयानों का समर्थन भी किया और प्रधानमंत्री व पार्टी की जनसभाओं से भी दूरी बनाए रखी. उन्हें छह साल के लिए निलंबित किया गया है और पार्टी ने एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है कि उन्हें पार्टी से निष्कासित क्यों न किया जाए
अशोक अग्रवाल (Ashok Agarwal) और उषा अग्रवाल (Usha Agarwal):
एमएलसी अशोक अग्रवाल और उनकी पत्नी उषा अग्रवाल, जो कटिहार की मेयर हैं, पर आरोप है कि उन्होंने भाजपा के आधिकारिक प्रत्याशी और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के खिलाफ चुनाव में भितरघात कर एनडीए को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. पार्टी ने संगठनात्मक अनुशासन को बनाए रखते हुए इन दोनों नेताओं को भी निलंबित कर दिया है
BJP का सख्त संदेश:
भाजपा मुख्यालय प्रभारी अरविंद शर्मा ने बताया कि ये नेता पिछले दिनों संगठन के निर्णयों के खिलाफ दिख रहे थे और आधिकारिक प्रत्याशी के खिलाफ माहौल बनाने में लगे पाए गए थे. यह निलंबन दिखाता है कि भाजपा चुनावी रणनीति में किसी भी ढिलाई को बर्दाश्त नहीं करेगी और हर नेता तथा कार्यकर्ता को लक्ष्य पर केंद्रित रहने की चेतावनी दे रही है. बिहार चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के ठीक बाद की गई यह कार्रवाई, पार्टी के अंदर मजबूत नेतृत्व और अनुशासन बनाए रखने के भाजपा के दृढ़ संकल्प को दर्शाती है.
यह देखना होगा कि इन निलंबनों और जारी किए गए कारण बताओ नोटिस पर इन नेताओं की क्या प्रतिक्रिया आती है और बिहार की राजनीति पर इसका क्या दूरगामी असर पड़ता है.
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