
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आज यानी सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में बड़ी बात कही है। केंद्र ने कोर्ट में कहा है कि उसने देशद्रोह कानून के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने और जांच करने का निर्णय लिया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि इस मामले पर आगे की सुनवाई तब तक न की जाए जब तक सरकार अपनी जांच पूरी न कर ले। सर्वोच्च न्यायालय के दाखिल किए गए हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि देशद्रोह पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A की के प्रावधानों की जांच और उस पर पुनर्विचार किया जाएगा।
सरकार ने कोर्ट में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर में जबकि देश की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं ऐसे में गुलामी के समय में बने देशद्रोह के कानून पर एक बार फिर से विचार करने की जरूरत है। इसमें कहा गया है, ‘देशद्रोह कानून को लेकर जताई जाने वाली आपत्ति का भारत सरकार को ज्ञान है। इसे लेकर मानवाधिकार भी कई बार सवाल उठा चुका है हालांकि इसका मकसद देश की संप्रभुता और अखंडता को अक्षुण्य बनाये रखना ही होना चाहिए।’
हलफनामे में आगे कहा गया, अब समय आ गया है कि आईपीसी की धारा 124A के प्रावधानों पर पुनर्विचार किया जाए। केंद्र की तरफ से कोर्ट में कहा गया है कि वह इस कानून की वैधता की जांच करने में समय जाया न करे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई है जिसमे औपनिवेशिक काल में बनाए गए कानूनों की जांच करने की बात कही गई थी।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इन्हीं याचिकाओं का जवाब दाखिल किया है। बता दें कि इससे पहले सरकार ने कहा था कि इस कानून की समीक्षा की आवश्यकता नहीं है। उस वक्त केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से अपील की थी कि देशद्रोह कानून के खिलाफ दी गई अर्जियों को रद्द कर दिया जाए।