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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में दिल्ली में लाल किले पर हुए धमाके के एक दोषी से जुड़े होने के आरोप के बाद एक बड़ी खबर सामने आई है. 'नाैक' (NAAC), जो कि देश में शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता तय करती है, उसने अल-फलक विश्वविद्यालय को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. यह नोटिस विश्वविद्यालय द्वारा अपनी वेबसाइट पर झूठा दावा करने पर दिया गया है कि उसे 'ए ग्रेड' मान्यता मिली हुई है. नाैक ने कहा कि अगर विश्वविद्यालय 15 दिनों के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं देता है, तो उसकी पूरी जांच की जा सकती है.

आखिर क्या है पूरा मामला?

दरअसल, दिल्ली स्थित अल-फलक विश्वविद्यालय अपनी वेबसाइट पर पिछले साल फरवरी में खुद को 'NAAC से ए ग्रेड' मान्यता प्राप्त संस्थान बता रहा था, जबकि नाैक के पास इसकी कोई जानकारी नहीं थी. यह तब सामने आया जब एक स्थानीय पत्रकार ने नाैक के अध्यक्ष को इसकी शिकायत की. शिकायत के बाद जब जांच की गई, तो पता चला कि नाैक ने इस विश्वविद्यालय को कोई 'ए ग्रेड' रेटिंग दी ही नहीं है, और न ही अल-फलक ने कभी 'पीयर टीम' मूल्यांकन के लिए आवेदन किया था, जो कि मान्यता के लिए एक ज़रूरी कदम होता है.

यह मामला तब और गंभीर हो गया जब इसका संबंध दिल्ली के लाल किला बम धमाके के दोषी आरिफ हुसैन उर्फ डॉ. हसन से जुड़ गया. यह विश्वविद्यालय उस शैक्षिक ट्रस्ट ने बनाया था, जिसके आरिफ हुसैन संस्थापक सदस्य थे. यह ट्रस्ट शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बना था और इसने कई शैक्षिक संस्थान शुरू किए थे. फिलहाल, पुलिस ने आरिफ हुसैन को कई साल पहले धमाके के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था और उसे दोषी ठहराया गया है.

विश्वविद्यालय पर क्यों उठे सवाल?

यह सिर्फ झूठे दावे का मामला नहीं है, बल्कि शैक्षिक संस्थानों की विश्वसनीयता से भी जुड़ा है. नाैक जैसे संस्थान शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं. ऐसे में जब कोई संस्थान झूठी मान्यता का दावा करता है, तो यह छात्रों के साथ-साथ पूरी शिक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ है.

अब नाैक ने इस विश्वविद्यालय को फटकार लगाई है और चेतावनी दी है कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है. उम्मीद है कि इस मामले की पूरी सच्चाई जल्द ही सामने आएगी.