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लोकायुक्त को भेजी गई शिकायत में मिली जानकारी

लखनऊ ।। दुग्ध संघ (पराग) का हाल कुछ उस गरीब की तरह हो गया है, जो भुखमरी की कगार पर है, लेकिन उसके अपने उसके तन पर कपड़े भी नहीं रहने देना चाहते। लगातार घाटे में डाल रहे पराग के अधिकारी खुद इसे नुकसान पहुंचा रहे हैं। खुद की कुर्सी बचाने के लिए लाखों रुपए का दुग्ध उत्पाद अधिकारियों को तोहफे में दिया जा रहा है।

तत्कालीन महाप्रबंधक के खिलाफ लोकायुक्त को भेजे गए दस्तावेज में इस कारनामे को बताने का प्रयास किया गया है। पराग को सितंबर 2015 में प्रादेशिक कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (पीसीडीएफ) को 23 लाख रुपये का भुगतान करना था, बावजूद इसके तत्कालीन महाप्रबंधक की ओर से सवा चार लाख रुपये का दुग्ध उत्पाद मुफ्त में बांट दिया गया। गिफ्ट की जांच करने के लिए एक उपभोक्ता ने लोकायुक्त को शिकायत भेजी है। इसमें कहा गया है कि पांच से 11 नवंबर के बीच 425845.83 रुपये का दुग्ध उत्पाद मुफ्त में दिया गया।

घाटे के बावजूद गिफ्ट देने में तत्कालीन महाप्रबंधक एसके प्रसाद की ओर से कोई कोताही नहीं की गई। त्योहार में गिफ्ट देने की परंपरा है, लेकिन सवाल उठता है कि अधिकारियों ने घाटे के बावजूद इसे रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया गया।

फोटोः फाइल।

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