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भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही मंदी की मार झेल रही थी, अब एक और झटका भारतीय बाजार को लगने जा रहा है. जिसके वजह से अब मंदी की मार और दिन भी झेलनी पड़ सकती है. आपको बता दें कि वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को कहा कि भारत में कमजोर घरेलू खपत से विकास दर में गिरावट आएगी।
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वहीं इस रेटिंग घटने से इसका कई क्षेत्रों को दिए गए कर्ज की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। मूडीज ने मार्च 2020 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुमान 5.8 फीसदी से घटाकर 4.9 फीसदी कर दिया है।
इसलिए आएगी विकास दर में गिरावट
रेटिंग एजेंसी ने एक रिपोर्ट में कहा कि ग्रामीण इलाकों में वित्तीय समस्या खड़ा होना, रोजगार सृजन में कमी और नकदी संकट जैसे कारणों से विकास दर में गिरावट आएगी। मूडीज के सहायक उपाध्यक्ष एवं विश्लेषक देबराह तान ने कहा कि निवेश आधारित सुस्ती अब फैलती हुई खपत में कमी वाली अर्थव्यवस्था बन गई। कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की वेतन वृद्धि कमजोर पड़ने और जमीन एवं श्रम क्षेत्र के जटिल कानूनों से रोजगार सृजन में भी नरमी बनी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू खपत भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि की रीढ़ रही है। 2018-19 में जीडीपी में इस क्षेत्र की 57 फीसदी हिस्सेदारी रही है।
4.5 फीसदी पर भारत की जीडीपी
इससे पहले जारी किए गए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों से अर्थव्यवस्था में सुस्ती गहराने के संकेत मिले हैं। जुलाई-सितंबर, 2019 की तिमाही के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर घटकर महज 4.5 फीसदी रह गई, जो लगभग साढ़े छह साल का निचला स्तर है। यह लगातार छठी तिमाही है जब जीडीपी में सुस्ती दर्ज की गई है।
इससे पहले जनवरी-मार्च, 2013 तिमाही में जीडीपी विकास दर 4.3 फीसदी रही थी, वहीं एक साल पहले की समान अवधि यानी जुलाई-सितंबर, 2018 तिमाही में यह सात फीसदी रही थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रही थी।
आरबीआई ने भी घटाया GDP अनुमान
इससे पहले पांच दिसंबर 2019 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी जीडीपी का अनुमान घटाया था। केंद्रीय बैंक के अनुसार, साल 2019-20 के दौरान जीडीपी में और गिरावट आएगी और यह 6.1 फीसदी से गिरकर पांच फीसदी पर आ सकती है। इससे अर्थव्यवस्था को झटका लगा है।