यूपी में हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा ने 255 सीटों पर जीत प्राप्त की, तो वहीं कर्नाटक में नाकाम होती नजर आ रही है। कर्नाटक में BJP की बदली प्लानिंग से यह साबित हो गया है। बीते 90 दिनों में पार्टी हिजाब-हलाल-अजान के मसलों से हटकर विकास की बात करने लगी है।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक अगले 90 दिनों के लिए नई रणनीति भी तैयार की जा रही है। विकास के साथ-साथ जाति की राजनीति पर भी फोकस रहेगा।
कर्नाटक विधानसभा इलेक्शन में बमुश्किल तीन महीने बचे हैं। साउथ इंडिया में कर्नाटक इकलौता ऐसा राज्य है जहां भाजपा सत्ता में है। 2018 में भी पार्टी को यहां स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, मगर भाजपा ने कांग्रेस विधायकों को हटाकर सरकार बनाई थी। हालांकि इस बार जो सर्वे के आंकड़े सामने आ रहे हैं उससे पार्टी मुश्किल में है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के पोल एक बार फिर कर्नाटक में पार्टी को बहुमत दिलाने में नाकाम रहे हैं। सर्वे के मुताबिक राज्य विधानसभा की कुल 224 सीटों में से पार्टी को सिर्फ 60-70 सीटें मिल रही हैं। ऐसा ही एक सर्वे सीएम बसवराज बोम्मई ने कराया था, जिसमें पार्टी ने 110 सीटों का दावा किया था। हालांकि बहुमत के लिए 113 सीटों की जरूरत है।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री शाह इससे पहले बेंगलुरु आए थे। उन्होंने बसवराज बोम्मई से मुलाकात की। अमित शाह ने सख्ती से बोम्मई से पूछा कि आप किस आधार पर 110 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं जबकि पार्टी का सर्वे 60 से 70 सीटें बता रहा है। इसके बाद भाजपा ने अगले तीन महीने के लिए अपनी चुनावी रणनीति में बड़ा परिवर्तन किया है।
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