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Up Kiran, Digital Desk: क्या कभी आपने सोचाः एक सड़क इतनी बदहाल कैसे हो सकती है कि लोग उसमें गिर-गिरकर चोटिल हो जाएं, फिर भी कोई सुनवाई न हो? यूपी के बनपुरवा इलाके की यही कहानी है, जहां एक पिता ने अपनी बेटी की चोट के बाद सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए अनोखा तरीका अपनाया।

राम गोपाल चौराहे से आनंद साउथ सिटी बनपुरवा तक की सड़क वर्षों से जर्जर स्थिति में है। बारिश के मौसम में सड़क पर गड्ढों में पानी भर जाता है और रोजाना कई लोग, खासकर बच्चे, इन खतरनाक गड्ढों में गिरकर घायल होते हैं। शीलू दुबे की बेटी भी स्कूल जाते समय इसी सड़क के एक पानी से भरे गड्ढे में गिरकर चोटिल हो गई। चोट लगने के बाद शीलू ने भाजपा के सांसद, विधायक, मंत्री और स्थानीय नेताओं से बार-बार संपर्क किया और सड़क मरम्मत की गुहार लगाई, लेकिन उसकी किसी ने भी गंभीरता से सुनवाई नहीं की।

निराश होकर शीलू दुबे ने एक ऐसा कदम उठाया जो जल्द ही चर्चा में आ गया। वह एक दिन बारिश के पानी से भरे गड्ढे में चटाई और तकिया लेकर लेट गए। उनका मकसद था सरकार और प्रशासन का ध्यान इस खस्ताहाल सड़क की ओर आकर्षित करना। लोगों ने जब वजह समझी तो उन्होंने भी शीलू की मांग का समर्थन करना शुरू कर दिया।

प्रदर्शन के दौरान शीलू ने जोरदार ढंग से ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए और अधिकारियों से अपील की कि इस सड़क को जल्द से जल्द सुधारा जाए। उनका कहना था कि रोजाना सैंकड़ों बच्चे और अन्य लोग इस रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन खस्ताहाल सड़कों की वजह से वे सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने अधिकारियों की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए उम्मीद जताई कि उनका यह विरोध प्रदर्शन प्रशासन की नींद खोल देगा।

शीलू दुबे की यह कहानी सिर्फ एक सड़क की नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों की है जो रोजाना ऐसी ही बदहाल सड़कों के कारण मुश्किलों का सामना करते हैं। यह सवाल उठता है कि क्या विकास की बात सिर्फ दावों तक सीमित रह जाएगी या अब बदलाव का वक्त आ गया है?

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