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भारतीय मजदूर संघ ( बीएमएस ) ने राज्य द्वारा श्रम कानूनों को स्थगित किये जाने का सख्त विरोध किया है। बीएमएस ने अपनी राज्य इकाइयों से कहा है कि वे इस संबंध में मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन देकर श्रम कानूनों में एकतरफा बदलाव न करने कि मांग करें। बीएमएस आरएसएस से जुड़ा संगठन है।

उल्लेखनीय है कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ने श्रम कानूनों को तीन साल के लिए स्थगित कर दिया है। इस निर्णय कि चौतरफा आलोचना हो रही है। बीएमएस के अध्यक्ष बृजेश उपाध्याय ने कहा है कि कोरोना वायरस के चलते श्रमिकों कि नौकरियों और आजीविका पर संकट आया है। यह समय श्रमिकों कि समस्यायों को हल करने का है न कि श्रम कानूनों को स्थगित करने का।

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बृजेश उपाध्याय ने कहा कि सरकारों को स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर में श्रम कानून किस तरह आर्थिक गतिविधियों में बाधक बन रहे हैं? सरकारों को किन हालातों में श्रम कानूनों को तीन साल के लिए स्थगित करना पड़ा है? सरकार को श्रमिकों के हितों को को ध्यान में रखना चाहिए।

विगत दिनों बीएमएस ने केंद्र व राज्य सरकारों को श्रम कानूनों में किसी भी तरह के परिवर्तन न करने के लिए लेकर आगाह किया था। बीएमएस का कहना है कि भारत श्रम कानूनों के मामले में साम्यवादी चीन के मॉडल पर नहीं चल सकता है। लोकतान्त्रिक भारत की तुलना साम्यवादी चीन से नहीं की जा सकती है।

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