ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के हादसे में 270 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है. इसमें एक महिला ने जिस तरह से अपने बच्चों को बचाया उसकी भी जबरदस्त चर्चा हो रही है. वास्तव में यह मां अपने कर्तव्यनिष्ठ विवेक से बच्चों और मौत के बीच ढाल की तरह खड़ी रही। इस हादसे में कई बोगियां पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। इसी बीच एक क्षतिग्रस्त बोगी का एक हिस्सा उनके ऊपर गिरने वाला था। तभी मां की उपस्थिति का असर हुआ और एक चमत्कार हुआ।
45 वर्षीय सीता दास को यह स्थिति समझते देर न लगी। सीता दास ने अपनी दो बेटियों और एक बेटे को खिड़की से बाहर फेंक दिया। रेलवे लाइन के दोनों ओर खेत थे। उन्हें लगा कि बच्चों को बचाने के लिए यही सही जगह है। सीता कहती हैं कि पहले कुछ मिनट तो मुझे लगा कि अगर मैं नहीं रही तो लोग मेरे बच्चों की जान बचा लेंगे। जहां मेरे पति फंस गए थे।
सीता व उनके पति को मामूली चोटें आई हैं। दुर्घटना में दंपति और उनके बच्चों का बाल-बाल बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है। परिवार चेन्नई जा रहा था। वहां सीता दास के पति नंदू दास प्लंबर का काम करते हैं। ओडिशा में बालासोर के पास कोरोमंडल, शालीमार और मालगाड़ी के बीच हुए इस खतरनाक रेल दुर्घटना में 270 से अधिक लोगों की मौत हो गई है.
--Advertisement--