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केरल के एर्नाकुलम में हुए विस्फोट की पड़ताल शुरू हो चुकी है। इसके लिए एंटी टेररिज्म टीमें और एनएसजी घटनास्थल का मुआयना कर रही है। वहीं शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि इस घटना को टाइमर डिवाइस से अंजाम दिया गया है। इसके साथ साथ विस्फोटक में छर्रे नहीं होने का अंदाजा लगाया जा रहा है।

विस्फोट के जरिए नुकसान पहुंचाने के बजाय बड़ा मैसेज देने का मकसद था। गौरतलब है कि चर्च में हुए धमाके में एक महिला की मौत हो गई है, जबकि 36 अन्य लोग घायल हो गए हैं। ये विस्फोट यहोवा के धार्मिक सभा के दौरान हुआ। इस ईसाई धार्मिक समूह की स्थापना 19वीं सदी में अमेरिका में हुई थी। यह धमाका रविवार सुबह 09:40 बजे पर हुआ। बताया गया कि इसकी इंटेंसिटी लो थी और विस्फोटक को टिफिन बॉक्स में रखा गया था। शुरुआती जांच के मुताबिक विस्फोटक में छर्रे नहीं थे।

प्रकरण की जानकारी रखने वाले अफसरों ने बताया कि इस विस्फोट को टाइमर बेस्ड डिवाइस से अंजाम दिया गया था। घटनास्थल पर बैटरी और तार का मिलना इसी तरफ इशारा करता है। जिस तरह बिना छर्रे का इस्तेमाल किए धमाके को अंजाम दिया गया, उससे संकेत मिलता है कि दहशतगर्दों ने इसके जरिए कोई बड़ा मैसेज दिया है।

हालांकि केस अभी तक एनआईए को हैंडओवर नहीं किया गया है, पर हालात की गंभीरता को देखते हुए घटनास्थल पर एनआईए एसपी भी पहुंचे थे। फिलहाल मामले की जांच चल रही है और इसके पीएफआई का हाथ होने की आशंका भी जताई जा रही है। इसके अलावा घटना में हमास का हाथ होने का भी संदेह जाहिर किया जा रहा है।

आपको बता दें कि इस वारदात के एक दिन पहले हमास के पूर्व नेता खालिद मिसाइल ने उत्तरी केरल के मल्लपुरम में डिजिटल माध्यम से एक सभा को संबोधित किया था। उस दौरान उसने जमाते इस्लामी के कार्यकर्ताओं से ईश्वर को न मानने वालों के विरूद्ध कार्रवाई करने का आह्वान किया था। 

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