आवारा गायों को पालकर उनके गोबर से तरह-तरह के उत्पाद बनाता है यह सख्श, सालाना होती है 36 लाख रुपये की कमाई!

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भारत में गाय को मां का दर्जा दिया जाता है, जिसे हिंदू धर्म में भी पूजा जाता है. वहीं कई लोग गोरक्षा और गौ पालन जैसे काम भी करते हैं, हालांकि इसके बावजूद लाखों गायें सड़कों पर आवारा जानवरों की तरह घूमती नजर आती हैं. इन गायों को अपना पेट भरने के लिए कूड़ेदान में पड़े भोजन का सेवन करना पड़ता है, जिसके कारण ये कभी-कभी प्लास्टिक की थैलियां भी खा जाती हैं।

ऐसे में वह प्लास्टिक गाय के पेट में चिपक कर उसे बीमार करने का काम करता है, जिससे हर साल सैकड़ों गायों की मौत हो जाती है. गायों को इस आपदा से बचाने के लिए छत्तीसगढ़ के एक युवक ने अनूठी पहल की है, जो गाय पालन के साथ-साथ उनके गोबर से तरह-तरह के उत्पाद तैयार करता है.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित गोकुल नगर के रहने वाले रितेश अग्रवाल दर्जनों आवारा गायों को अपने गौशाला में पालते हैं, जिससे वह तरह-तरह के उत्पाद तैयार कर बाजार में बेचते हैं. रितेश अग्रवाल ने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वर्ष 2003 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी, जिसके बाद उन्होंने कई निजी कंपनियों में काम किया। इस दौरान रितेश का ध्यान आवारा जानवरों की तरह सड़कों पर घूमने वाली गायों पर रहता था, जो अक्सर कचरा और प्लास्टिक खाने से बीमार पड़ जाती हैं.

ऐसे में रितेश ने फैसला किया कि वह आवारा गायों के कल्याण के लिए काम करेंगे, जिसके बाद उन्होंने साल 2015 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया और गाय की सेवा के लिए एक गौशाला में शामिल हो गए। इस तरह रितेश अग्रवाल ने विभिन्न गौशालाओं से जुड़कर गौ सेवा की और उनके गोबर से बने विभिन्न उत्पादों की जानकारी ली।

इसी बीच वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में गोथन मॉडल की शुरुआत की गई, जिसके तहत लोगों को गाय के गोबर से विभिन्न उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था. रितेश अग्रवाल भी गोथन मॉडल से जुड़ गए और जयपुर और हिमाचल प्रदेश गए और गाय के गोबर से अलग-अलग चीजें बनाने का प्रशिक्षण लिया।

गाय के गोबर से विभिन्न उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण लेने के बाद, रितेश अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ में पहल नामक एक संस्था शुरू की, जिसमें गाय के गोबर का उपयोग करके बैग, चप्पल, पर्स, मूर्ति, ईंट, गुलाल और दीपक जैसी विभिन्न चीजें बनाई जाती हैं। गोकुल नगर के कई स्थानीय लोग इस संगठन से जुड़े हैं, जो गाय के गोबर से विभिन्न उत्पाद तैयार करते हैं। यह संस्था गाय के गोबर से बेहद आलीशान चप्पल तैयार करती है, जो 3 से 4 घंटे बारिश में भीगने के बाद भी खराब नहीं होती है। इन चप्पलों को पानी में भिगोकर, धूप में सुखाकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे गर्मी के मौसम में पैरों की ठंडक का असर कम हो जाता है।

रितेश अग्रवाल के मुताबिक, 1 किलो गाय के गोबर से 5 जोड़ी चप्पल तैयार की जा सकती है, जो बेहद फायदेमंद और इस्तेमाल में आसान है। इसके अलावा एक पहल में गाय के गोबर से गुलाल भी तैयार किया जाता है, जिसमें फूलों की सूखी पत्तियों का चूर्ण गाय के गोबर में मिलाकर चूर्ण बना लिया जाता है। वहीं गुलाल को रंग देने के लिए हल्दी, धनिया पत्ती और सूखे फूलों का प्रयोग किया जाता है।

रितेश अग्रवाल एक पहल के जरिए स्थानीय महिलाओं को रोजगार दे रहे हैं, जो गाय के गोबर से कई उपयोगी चीजें तैयार करती हैं। इन उत्पादों की मांग न केवल छत्तीसगढ़ में है, बल्कि अन्य शहरों से भी गाय के गोबर से बने उत्पादों की मांग है। रितेश अग्रवाल द्वारा तैयार गाय के गोबर के उत्पाद पूरे राज्य में इतने प्रसिद्ध हो गए हैं कि हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपने संगठन द्वारा बनाए गए गाय के गोबर ब्रीफकेस का इस्तेमाल किया।

दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल साल 2022 का बजट सत्र पेश करने के लिए विधानसभा पहुंचे थे, इस दौरान उनके हाथ में गाय के गोबर से बना ब्रीफकेस था. इस ब्रीफकेस को रितेश अग्रवाल और उनके संगठन ने 10 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया था, जो देखने में बेहद मजबूत और आकर्षक लग रहा था।

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