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सुख और दुख जीवन के वो दो पहलू हैं, जिनका आना-जाना हमेशा लगा ही रहता है। कई दुख ऐसे होते हैं, जिनका दर्द समय के साथ साथ-सतह कम हो जाता है और मनुष्य धीरे-धीरे सबकुछ भूल जाता है। वहीं कुछ दुख-दर्द ऐसे होते हैं, जो आपके सौभाग्य को दुर्भाग्य में बदल सकते हैं और मनुष्य उसे कभी भी नहीं बदल पाता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जीवन में घटने वाली ये ऐसी घटनाएं हैं, जिनका दर्द कभी भी कम नहीं होता।

जीवनसाथी का साथ छूटना

चाणक्‍य कहते हैं कि पति-पत्‍नी का साथ जीवन भर का होता है। वैसे तो किसी भी अवस्था में जीवनसाथी का साथ न होना दुर्भाग्य की बात ही है और बेहद पीड़ादायक होती है लेकिन वृद्धावस्‍था में अगर जीवनसाथी का साथ छूट जाता है तो जीवन दुखों से भर जाता है। वे कहते हैं कि उम्र के आखिरी पड़ाव में अगर पति या पत्‍नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है तो बाक़ी का जीवन काफी मुश्किल से बीतता है। ये घटना सौभाग्य को दुर्भाग्य में बदलने के समान होती है।

जमा पूंजी खो देना

जीवन जीने के लिए पैसे की बहुत जरूरत होती है। लोग इसे कमाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं। ऐसे में अगर आपकी जीवन भर की जमा पूंजी कोई आपसे धोखे से छीन ले, तो इससे बड़ा दुर्भाग्य और कोई नहीं हो सकता। चाणक्य नीति में कहा गया है कि आपकी गाढ़ी कमाई हाथ से चले जाना आपके सौभाग्य को एक पल में दुर्भाग्य में बदल देने जैसा होता है।

किसी और के घर में रहना

आपके सौभाग्य को दुर्भाग्य में बदलने के हालात तब भी बन जाते हैं जब आपको किसी वजह से किसी और के घर में रहना पड़ता है क्योंकि किसी और के घर में रहने वाले व्यक्ति को उस घर के मालिक पर निर्भर रहना पड़ता है। उसे उस घर के मालिक के हिसाब से जीना पड़ता है। जीवन में आने वाली ये परिस्थिति व्‍यक्ति का आत्‍म-सम्‍मान खत्‍म करने का काम करती है जो बेहद तकलीफदेह होता है।

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