Chhath Pooja 2021: लोक आस्था के महापर्व छठ व्रत की पौराणिक कथाएं

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लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath Pooja 2021) आज नहाया-खाय से शुरू होगा। ये पर्व सप्तमी तिथि तक अगले चार दिन तक चलेगा। डूबते सूर्य का अर्घ्य 10 नवंबर, दिन बुघवार को दिया जाएगा। छठ पर्व में भगवान सूर्य और उनकी बहन छठी मैय्या का पूजन किया जाता है। प्रारंभ में ये पर्व बिहार,झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वाचंल में मनाया जाता था, लेकिन आज ये देश के कोने-कोने में मनाया जाने लगा है। छठ पर्व का उल्लेख रामायण, महाभारत और पुराणों में भी मिलता है। आइए जानते हैं छठ पर्व की पौराणिक कथाओं के बारे में…

bathe and eat- Chhath Pooja 2021

छठ पर्व (Chhath Pooja 2021) का पौराणिक विवरण

भगवान सूर्य की आराधना के छठ पर्व (Chhath Pooja 2021) की शुरूआत का श्रेय सूर्य पुत्र कर्ण को दिया जाता है। महाभारत में वर्णन है कि कर्ण रोज जल में आधा डूब कर सूर्य देव को अर्घ्य देता था। तब से ही सूर्य देव को इस प्रकार से अर्घ्य प्रदान करने की परंपरा शुरू हुई है। हालांकि इसके अलावा महाभारत में कुंती और द्रौपदी के भी छठ का व्रत रखने का उल्लेख मिलता है।

भगवान सूर्य के प्रताप से ही कुंती को कर्ण जैसा पुत्र प्राप्त हुआ था। द्रोपदी के छठ (Chhath Pooja 2021) का व्रत रखने से पांडवों को जुए में हारा हुआ राज पाट वापस मिला था। रामायण में भी सूर्य पूजा और छठ पर्व का उल्लेख मिलता है। भगवान राम सूर्यवंशीय क्षत्रिय थे, उनके कुल देव भगवान सूर्य ही थे। वर्णन है कि रामराज्य की स्थापना के पहले भगवान राम-सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन भगवान सूर्य का पूजन किया था।

इसके अतिरिक्त मार्कण्डेय पुराण में छठी मैय्या (Chhath Pooja 2021) और छठ पर्व का उल्लेख मिलता है। पुराण के अनुसार छठी मैय्या प्रकृति की अधिष्ठात्री देवी हैं और भगवान सूर्य की बहन हैं। सुहागिन महिलाओं को संतान का सुख और संतान को दीर्ध आयु तथा सौभाग्य प्रदान करती हैं। शिशु जन्म के छठे दिन इन्हीं छठी मैय्या का पूजन होता है। इनके प्रताप से ही संतान सुख और समृद्धि प्राप्त करती हैं।

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