उत्तराखंड में कांग्रेस ने लगाए एक तीर से दो निशाने

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देहरादून॥ विजयी उम्मीदवारों को सेंट्रल ऑब्जर्वर की निगरानी में रखने के कांग्रेस हाईकमान के फैसले ने एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश की है. इससे जहां पूरी चुनाव प्रक्रिया सीधे आलाकमान के हाथ में होगी वहीं स्थानीय क्षेत्रों को अपने समर्थक विधायकों के साथ अलग से खिचड़ी बनाने का मौका नहीं मिलेगा।

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वर्ष 2002 और वर्ष 2012 में पार्टी नेताओं के बीच बने सत्ता संघर्ष की स्थिति आज भी सभी के जेहन में ताजा है। इस चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने पर सत्ता संघर्ष की आशंका लग रही है। इस बार जहां पूर्व सीएम हरीश रावत कैंप रावत को मुख्यमंत्री पद का स्वभाविक दावेदार मानता है।

वहीं, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के समर्थक सरकार बनने पर प्रीतम को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं। केंद्रीय आब्जर्वर के साथ होने की वजह से विधायकों पर कोई भी कैंप दबाव बनाने की स्थिति में नहीं रहेगा कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। कोई लाख दावे करता रहे पर उत्तराखंड की जनता ने कांग्रेस के पक्ष में अपनी मुहर लगाई है। भाजपा दूर-दूर तक सत्ता में वापसी नहीं करने जा रही है।

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