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नई दिल्ली। राफेल सौदे के मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार की घेराबंदी तेज कर दी है। गुरुवार को कांग्रेस ने राजधानी में दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया।

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी ट्वीट कर वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साध चुके हैं। राहुल ने ट्वीट कर जेटली को 24 घंटे में उसका जवाब देने का चैलेंज दिया था। राहुल ने लिखा था – मिस्टर जेटली, राफेल रॉबरी पर देश का ध्यान लाने के लिए धन्यवाद! क्या राफेल सौदे की जांच जेपीसी से कराई जाए? लेकिन, समस्या ये है कि आपके सुप्रीम लीडर अपने दोस्तों को बचा रहे हैं। इसीलिए यह उनके लिए असुविधानजक हो सकती है। आप 24 घंटे में इसका जवाब दें, हम इंतजार कर रहे हैं।

बाद में कांग्रेस उपाध्यक्ष ने गुरुवार को एक और ट्वीट कर लिखा- ‘डियर मिस्टर जेटली, राफेल सौदे पर जेपीसी जांच के जवाब पर डेडलाइन खत्म होने में 6 घंटे से भी कम समय बचा है। युवा भारत इंतजार कर रहा है। मुझे आशा है कि आप पीएम मोदी और अनिल अंबानी जी को ये समझा रहे होंगे कि वे आपको क्यों सुने और इसे मंजूरी दे।’

राफेल क्या है?

राफेल अनेक भूमिकाएं निभाने वाला एवं दोहरे इंजन से लैस फ्रांसीसी लड़ाकू विमान है और इसका निर्माण डसॉल्ट एविएशन ने किया है। राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है।

यूपीए सरकार ने क्या सौदा किया था?

भारत ने 2007 में 126 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी, जब तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भारतीय वायु सेना से प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी। इस बड़े सौदे के दावेदारों में लॉकहीड मार्टिन के एफ-16, यूरोफाइटर टाइफून, रूस के मिग-35, स्वीडन के ग्रिपेन, बोइंड का एफ/ए-18 एस और डसॉल्ट एविएशन का राफेल शामिल था।

लंबी प्रक्रिया के बाद दिसंबर 2012 में बोली लगाई गई। डसॉल्ट एविएशन सबसे कम बोली लगाने वाला निकला। मूल प्रस्ताव में 18 विमान फ्रांस में बनाए जाने थे जबकि 108 हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर तैयार किये जाने थे। संप्रग सरकार और डसॉल्ट के बीच कीमतों और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर लंबी बातचीत हुई थी। अंतिम वार्ता 2014 की शुरुआत तक जारी रही लेकिन सौदा नहीं हो सका।

प्रति राफेल विमान की कीमत का विवरण आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं किया गया था, लेकिन तत्कालीन संप्रग सरकार ने संकेत दिया था कि सौदा 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर का होगा। कांग्रेस ने प्रत्येक विमान की दर एवियोनिक्स और हथियारों को शामिल करते हुए 526 करोड़ रुपये (यूरो विनिमय दर के मुकाबले) बताई थी।

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