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Up Kiran, Digital Desk: भारत में सनातन धर्म को लेकर जागरूकता और एकजुटता की कोशिशें लगातार तेज हो रही हैं। इसी दिशा में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक नई पहल करने जा रहे हैं। वे 7 नवंबर से 16 नवंबर 2025 तक दिल्ली से वृंदावन तक करीब 170 किलोमीटर लंबी 'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा' निकालेंगे। यह यात्रा न सिर्फ धार्मिक भावना से प्रेरित है, बल्कि यह एक वैचारिक आंदोलन भी मानी जा रही है।

धीरेंद्र शास्त्री का बड़ा ऐलान: "जब तक श्रीकृष्ण मथुरा में विराजमान नहीं होंगे, संघर्ष जारी रहेगा"

धीरेंद्र शास्त्री ने पदयात्रा की घोषणा करते हुए कहा कि यह सिर्फ झांकी है, असली फिल्म तो अभी बाकी है। उनका कहना है कि सनातनी समाज को एक मंच पर लाना अब समय की मांग है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह यात्रा मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण की विराजमानता की पुनः स्थापना के लिए है। साथ ही उन्होंने इस यात्रा को धर्म विरोधी ताकतों के खिलाफ एक शांतिपूर्ण जवाब बताया।

संतों की बैठक में बनी यात्रा की रणनीति

वृंदावन के कृष्ण कृपा धाम आश्रम में सोमवार को एक अहम बैठक आयोजित की गई। इसमें देशभर से आए 200 से अधिक साधु-संत, कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज और बीजेपी सांसद मनोज तिवारी भी शामिल हुए। इस बैठक में पदयात्रा की रूपरेखा, अनुशासन और धार्मिक मर्यादाओं को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। तय किया गया कि यात्रा पूरी शालीनता और सांस्कृतिक गरिमा के साथ निकाली जाएगी।

16 नवंबर को वृंदावन में होगा समापन

यह दस दिवसीय पदयात्रा 7 नवंबर को दिल्ली से शुरू होगी और 16 नवंबर को वृंदावन के ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के साथ संपन्न होगी। यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है, जो इसे अब तक की सबसे बड़ी सनातन यात्रा बना सकती है।

यात्रा के उद्देश्य: धर्म, राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा

धीरेंद्र शास्त्री ने यात्रा के उद्देश्यों को भी स्पष्ट किया। उनका कहना है कि यह यात्रा केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि संस्कृति, राष्ट्रभक्ति और वैचारिक जागरूकता का संदेश देने वाली है। उन्होंने तीन प्रमुख एजेंडों की बात कही:

  • ब्रज क्षेत्र में मांस और मदिरा की बिक्री पर रोक
  • यमुना नदी की शुद्धता सुनिश्चित करना
  • धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रगीत का गूंजना

उन्होंने आगे कहा कि मंदिर और मस्जिद दोनों में राष्ट्रगीत का वादन यह तय करेगा कि कौन वाकई इस मातृभूमि से प्रेम करता है और कौन नहीं।

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