img

Up Kiran, Digital Desk: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंक के विरुद्ध सख्त रुख अपनाया है। इस हमले में निर्दोष नागरिकों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है और भारत सरकार ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराते हुए कड़ा जवाब देने की दिशा में कई कदम उठाए हैं।

इस कड़ी कार्रवाई और सुरक्षा रणनीति के चलते पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान को आशंका है कि भारत कभी भी सीमा पार कर सर्जिकल या एयर स्ट्राइक जैसी कार्रवाई कर सकता है। इस बीच क्षेत्रीय तनाव को और भड़काने वाली एक अप्रत्याशित प्रतिक्रिया बांग्लादेश से आई है।

बांग्लादेश के सेवानिवृत्त मेजर जनरल का विवादित बयान

बांग्लादेश के एक सेवानिवृत्त मेजर जनरल एएलएम फजलुर रहमान ने भारत के विरुद्ध आक्रामक बयान देकर सबको चौंका दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि यदि भारत पाकिस्तान पर हमला करता है तो बांग्लादेश को भारत के पूर्वोत्तर के सात राज्यों पर कब्जा कर लेना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस उद्देश्य के लिए चीन के साथ संयुक्त सैन्य सहयोग पर बातचीत शुरू होनी चाहिए।

ये बयान उस समय आया है जब बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार, जिसे नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस का समर्थन प्राप्त है, पहले से ही भारत के साथ रिश्तों में खटास का सामना कर रही है। विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान दोनों देशों के संबंधों को और नुकसान पहुंचा सकता है।

पृष्ठभूमि: रहमान और यूनुस की करीबी

सेवानिवृत्त जनरल फजलुर रहमान, जो अब राष्ट्रीय स्वतंत्र जांच आयोग के अध्यक्ष हैं, को मोहम्मद यूनुस का करीबी माना जाता है। 2001 में भारत-बांग्लादेश सीमा पर हुई हिंसक झड़पों के दौरान रहमान बीडीआर (अब बीजीबी) के प्रमुख थे। इन झड़पों में भारत के 16 बीएसएफ जवान शहीद हो गए थे। रहमान को हाल ही में सर्वोच्च न्यायिक रैंक — सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय डिवीजन के जज के समकक्ष दर्जा दिया गया है।

2009 के पिलखाना नरसंहार की जांच कर रहे रहमान ने यह भी दावा किया है कि उस घटना के पीछे एक विदेशी साजिश थी, जिसे वह उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

भारत की प्रतिक्रिया का इंतजार

हालांकि भारत सरकार की ओर से अब तक इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विदेश मंत्रालय इस मसले को गंभीरता से देख रहा है। कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, भारत इस बयान को केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि बांग्लादेश सरकार की ओर से उत्पन्न हो रही एक नई रणनीतिक सोच के संकेत के रूप में देख सकता है।

--Advertisement--