COVID-19: देश में टीकाकरण और लोगों की सतर्कता से मौतों में आई भारी गिरावट

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नयी दिल्ली: पूरी दुनिया को इस से वायरस से लड़ाई लड़ते हुए करीब दो साल बीत रहे हैं। बीतते समय के साथ इस वायरस और महामारी को लेकर हमारी समझ और सोच ज्यादा परिपक्व हुई है। हमने आपदा के समय फौरी राहत के लिए तमाम जीवन रक्षक उपकरण तत्काल विकसित किए। दवाएं तैयार कीं। किसी दूसरे रोग की दवाओं में इससे निवारण के गुण-धर्म को जांचा-परखा। इस वायरस के खिलाफ वैक्सीन नामक ब्रह्मास्त्र को भी बना लिया। इतने तमाम इंतजामों के बाद अब तस्वीर संवरती दिख रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना है कि दुनिया में सक्रिय मामले और मौतों की साप्ताहिक संख्या में कमी आई है। कई हिस्सों में ये कमी पिछले दो महीने से लगातार हो रही है।

मंझधार में देश-

अमेरिका: दुनिया का यह सबसे ताकतवर देश महामारी से जूझ रहा है। माना जाता था कि सबसे पहले यही देश महामारी से उबरेगा, लेकिन यहां पर एक बड़ी आबादी की वैक्सीन के प्रति अन्यमनस्कता इसे महामारी से जीतने नहीं दे रही है। एक तिहाई आबादी अभी टीके से दूर है। सात लाख से अधिक मौतें के साथ यह दुनिया में सबसे अधिक मौतों वाला देश बन चुका है। हालांकि नए मामले और अस्पताल में भर्ती करने की प्रवृत्ति कम हुई है, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता कम नहीं हुई है। उनका मानना है कि सर्दी के मौसम में ज्यादा से ज्यादा लोग घर में रहेंगे जो फिर से एक और लहर की वजह बन सकते हैं।

रूस: बीते शुक्रवार को यहां कोरोना से 887 मौतें हुईं। जब से महामारी शुरू हुई है, किसी एक दिन में मौतों की यह सर्वाधिक संख्या है। लगातार चार दिन यह रिकार्ड बना। सिर्फ 33 फीसद आबादी ही पहली डोज ले पाई है।

भारत की बात डेल्टा वैरिएंट ने यहां जब कहर मचाया तो हर रोज मौतों का औसत आंकड़ा चार हजार जा पहुंचा। लेकिन प्रभावकारी टीकाकरण नीति और लोगों की सतर्कता ने इसे अब 300 के औसत पर ला दिया है। देश की करीब 50 फीसद पात्र आबादी को टीके की पहली डोज दी जा चुकी है। करीब 25 फीसद को दोनों डोज से सुरक्षित किया जा चुका है।

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