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Up Kiran, Digital Desk: एक विवाहिता को सब कुछ बांटना मंजूर होता है बस अपने मर्द को वो किसी के साथ नहीं शेयर कर सकती। मगर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ज़िले से एक ऐसा दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है  जिसने इस कहावत को ज़ख्म में बदल दिया। एक पत्नी के भरोसे और प्रेम को उसके ही जीवनसाथी ने इस कदर रौंदा कि शब्द भी उस पीड़ा को बयां करने में असमर्थ हैं।

बेहद शांत और साधारण ज़िंदगी जीने वाली अनीता देवी  बेदौली भींस गांव की रहने वाली है। उसकी शादी 27 मई 2022 को सुनील कुमार नाम के युवक से बड़े अरमानों के साथ हुई थी। शादी के बाद  जब एक नन्ही सी बेटी ने उनके जीवन में किलकारियां भरीं  तो लगा जैसे गृहस्थ जीवन ने पूरी करवट ली है। मगर यह खुशी चिरस्थायी नहीं थी।

शादी के महज़ एक साल के भीतर ही अनीता के सपनों का घर टूटने लगा। पति सुनील  ससुर रामनरेश और सास सरिता देवी दहेज की मांग को लेकर उसे तरह-तरह से प्रताड़ित करने लगे। रोज़ नए ताने  नई शिकायतें और कभी-कभी तो हाथ उठाना — ये सब उसकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया। आखिरकार  एक महीने पहले उसे मायके भेज दिया गया — मारपीट कर  अपमानित करके।

अनीता ने मायके में रहते हुए भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। उसने सोचा  शायद वक्त सब ठीक कर देगा। मगर उसे क्या पता था कि जिस घर की ओर वो लौटने का सपना देख रही है  वहाँ अब किसी और ने उसकी जगह ले ली है।

17 मई 2025 — इस तारीख़ ने अनीता की ज़िंदगी की दिशा ही बदल दी। उसके पति सुनील ने उसी दौरान संगीता नाम की एक अन्य महिला से चोरी-छुपे शादी कर ली और घर में ले आया।

19 मई को जब अनीता अपनी मासूम बच्ची के साथ अपने ससुराल लौटी  तो दरवाज़ा खोलते ही सामने खड़ी एक अजनबी महिला ने उसकी दुनिया उजाड़ दी। आँखों के सामने अपने ही घर में सौतन को देखकर अनीता की रूह कांप गई। दर्द  अपमान और क्रोध की मिलीजुली चीख़ उसके गले में ही अटक कर रह गई।

उसने जब विरोध किया  न्याय की पुकार लगाई  तो सुनील ने दूसरी पत्नी संग मिलकर उसकी ही अस्मिता पर वार कर दिया। सास और ससुर ने भी गालियों की बौछार की और चारों ने मिलकर अनीता को पीटा। पीट-पीटकर उसे घर से धक्के मारकर निकाल दिया गया  जैसे वह कोई इंसान नहीं  कोई बोझ हो  जिसे उतार फेंकना ही अब उनका मकसद बन चुका हो।

और यह यहीं खत्म नहीं हुआ। जब अनीता ने पुलिस की मदद लेने की बात कही  तो उसे धमकाया गया कि अगर किसी को बताया  तो जिंदा नहीं बचेगी।

इस अमानवीयता के बीच अनीता ने अपनी आखिरी आस बिरादरी की पंचायत में जताई। पंचायत बैठी  बात हुई  मगर परिणाम शून्य निकला। ससुराल वालों पर न कोई सामाजिक दबाव असर कर पाया  न नैतिक जिम्मेदारी का बोध।

हारकर अनीता ने इंस्पेक्टर मांडा शैलेंद्र सिंह को तहरीर दी और न्याय की गुहार लगाई। उसकी आवाज़ में अब सिर्फ़ दर्द नहीं था  उसमें साहस था — उस अन्याय के ख़िलाफ़ खड़े होने का साहस  जिसे एक औरत सदियों से झेलती आ रही है।

तहरीर के आधार पर अनीता के पति  सास  ससुर और सौतन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस अब पूरे मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही है।

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