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देश में 18वें लोकसभा इलेक्शन का ऐलान हो चुका है। 16 मार्च को इलेक्शन कमीशन ने देश में होने वाले लोकसभा इलेक्शन की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इस बार लोकसभा की 543 सीटों के लिए सात चरणों में चुनाव होंगे और चुनावी नतीजे 4 जून को आएंगे। वहीं चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही देशभर में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानी कि आचार संहिता लागू हो गई है। जिसके बाद से देश में कई कामों पर पाबंदी लग गई है।
राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार के नहीं बल्कि चुनाव आयोग की मंजूरी के साथ काम करना होगा। चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार को आचार संहिता के नियमों का पालन करना होता है। इस बीच अगर कोई इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे दंड भी मिल सकता है। आइए जानते हैं कि आचार संहिता होती क्या है? इसे लागू कौन करता है। लागू हो जाने के बाद किन कामों को करने पर पाबंदी लग जाती है और क्या क्या करने की इजाजत होती है।
पहले बात करते हैं कि आचार संहिता होती क्या है तो बता दें कि देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो, इसके लिए चुनाव आयोग ने देश में कुछ नियम बनाए हैं। इन्हीं नियमों को आचार संहिता का नाम दिया गया है। लोकसभा या विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना राजनीतिक दलों के लिए जरूरी होता है। आचार संहिता के तहत बताया जाता है कि सियासी पार्टियों और कैंडिडेट को चुनाव के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है। आगे बढ़ने से पहले आपको बताते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई थी।
धारा 144 की शुरुआत सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव में हुई थी। इलेक्शन कमीशन ने 1962 को लोकसभा इलेक्शन में पहली बार इसके बारे में राजनीतिक दलों को इन नियमों के बारे में बताया था। 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव से आचार संहिता की व्यवस्था लागू हो गई थी। राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार के नहीं बल्कि चुनाव आयोग के कर्मचारियों की तरह काम करना होता है। चुनाव पूरा होने के बाद आचार संहिता को हटा लिया जाता है।
आचार संहिता में जानें क्या नहीं कर सकते
अब आपको बताते हैं कि आचार संहिता के दौरान किन किन चीजों की मनाही होती है। इस दौरान मंत्री सरकारी वाहनों का इस्तेमाल भी सिर्फ अपने निवास से ऑफिस तक जाने के लिए कर सकते हैं। सरकारी खर्च पर मंत्री इलेक्शन रैली नहीं कर सकते हैं। चुनावी रैलियों और यात्राओं के लिए इनका इस्तेमाल नहीं हो सकता। पेंशन फॉर्म जमा नहीं हो सकते हैं।
नए राशन कार्ड नहीं बनाए जा सकते हैं। किसी भी काम का नया ठेका नहीं दिया जा सकता है। किसी नए काम के लिए टेंडर भी नहीं खोले जाएंगे। आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता है, जिससे किसी राजनीतिक पार्टी को फायदा पहुंचता हो। सभी तरह की सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यास जैसे कई तरह के आयोजन नहीं किए जा सकते हैं, लेकिन अगर पहले ही कोई काम शुरू हो गया है तो वह जारी रह सकता है।
मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या किसी भी धार्मिक स्थल का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं हो सकता है। आचार संहिता में सरकार किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का ट्रांसफर या पोस्टिंग नहीं कर सकती है। अगर मान लीजिए कि ट्रांसफर करना बहुत जरूरी हो तो चुनाव आयोग की परमिशन लेनी जरूरी होती है। सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने, जुलूस निकालने और लाउडस्पीकर इस्तेमाल करने से पहले स्थानीय पुलिस अधिकारियों से लिखित अनुमति लेना जरूरी है।