Defence Deal: भारत के रक्षा मंत्रालय ने अपने पनडुब्बी बेड़े को मजबूत करने के लिए दो जरूरी सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं, जो 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन डील्स में से एक सौदा फ्रांस के नेवल ग्रुप के साथ है, जबकि दूसरा सौदा मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स के साथ है। इन दोनों सौदों का कुल खर्च 2867 करोड़ रुपए है।
फ्रांस के नेवल ग्रुप के साथ सौदा: इस डील का खर्च 877 करोड़ रुपए है और यह इलेक्ट्रॉनिक हेवी वेट टारपीडो (EHWT) तकनीक से संबंधित है। यह टारपीडो, जिसे F21 के नाम से भी जाना जाता है, पनडुब्बियों के लिए एक अत्याधुनिक हथियार है। इसकी खूबी ये है कि ये पनडुब्बी में कभी भी विस्फोट नहीं कर सकता, जिससे ये इसे अन्य टॉरपीडो की तुलना में अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाता है। इस सौदे का उद्देश्य भारतीय नौसेना की कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों की मारक क्षमता को बढ़ाना है।
मझगांव डॉक के साथ सौदा: ये डील लगभग 1990 करोड़ रुपये का है और ये एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम के विकास और एकीकरण से संबंधित है। AIP तकनीक पारंपरिक पनडुब्बियों को अधिक समय तक पानी के नीचे रहने की अनुमति देती है, बिना सतह पर आने या स्नोर्कल का उपयोग किए। इससे पनडुब्बियों की सहनशक्ति में इजाफा होगा और ये 'आत्मनिर्भर भारत' योजना में अहम योगदान देगा, जिससे लगभग तीन लाख मानव-दिवसों का रोजगार भी सृजित होगा।
ये सौदे इंडियन नेवी की क्षमताओं को बढ़ाने और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जरूरी कदम हैं।
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