Up kiran,Digital Desk : दिल्ली दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक नया और बेहद सनसनीखेज खुलासा हुआ है। दिल्ली पुलिस ने सर्वोच्च अदालत में ज़ोर देकर कहा है कि 2020 में जो दंगे हुए थे, वे कोई आम प्रदर्शन नहीं थे, बल्कि बांग्लादेश और नेपाल की तर्ज पर 'सत्ता परिवर्तन' की एक सुनियोजित साजिश थी। पुलिस ने विशेष रूप से उमर खालिद का ज़िक्र करते हुए उसे 'राजद्रोह का समर्थक' करार दिया है।
दिल्ली पुलिस का बड़ा बयान: क्या कहा गया?
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध के नाम पर जो धरने प्रदर्शन हुए, वो सिर्फ साधारण आंदोलन नहीं थे। पुलिस का दावा है कि इन प्रदर्शनों का असली मकसद देश में सत्ता बदलने की कोशिश करना था, ठीक उसी तरह जैसा बांग्लादेश और नेपाल में हुआ था। पुलिस का तर्क है कि यह UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) 1967 के तहत गंभीर आरोपों को साबित करने का एक पुख्ता उदाहरण है।
पुलिस ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि जब ये लोग धरना दे रहे थे, तब उनके हाथों में लाठी और एसिड की बोतलें थीं। साथ ही, सभी लोग एक साथ उस वक्त इकट्ठे हुए जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर थे, जो कि घटना को और भी ज़्यादा गंभीर बनाता है।
ट्रायल लंबा खिंचने का इल्ज़ाम: आरोपी या सिस्टम जिम्मेदार?
सुनवाई के दौरान, दिल्ली पुलिस की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एस.वी. राजू ने ये सारे तर्क रखे। असल में, उमर खालिद, शरजील इमाम, गलफिशा फातिमा, मीरान हैदर, शिफा उर रहमान, मोहम्मद सलीम खान और शादाब अहमद ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उन्हें ज़मानत नहीं दी गई थी और दिल्ली दंगों में एक बड़ी साजिश का ज़िक्र किया गया था।
ASG राजू ने यह भी कहा कि सिर्फ इसलिए ज़मानत नहीं दी जा सकती कि ट्रायल लंबा खिंच रहा है। उन्होंने कहा कि आरोपी खुद ट्रायल में देरी के लिए ज़िम्मेदार हैं। यदि वे थोड़ा सहयोग कर दें, तो यह मामला दो सालों में ही सुलझ सकता है।
दंगों के लिए पैसा कहाँ से आया? कुछ अहम नाम
सुनवाई के दौरान, शरजील इमाम के कथित भड़काऊ भाषण का भी ज़िक्र किया गया। वहीं, उमर खालिद पर 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' जैसे नारे लगाने और मुस्लिम छात्रों के साथ कई व्हाट्सऐप ग्रुप्स बनाने का भी आरोप लगाया गया।
दिल्ली पुलिस के वकील ने ताहिर हुसैन, इशरत जहां, खालिद सैफी, शिफा उर रहमान और मीरान हैदर की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। इन पर दंगों के लिए पैसा देने का आरोप है। बताया गया है कि ताहिर हुसैन ने ₹1.3 करोड़ और शिफा उर रहमान ने ₹8.90 लाख दिए थे। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) अभी भी 'मनी ट्रेल' यानी पैसे के स्रोत का पता लगाने की कोशिश कर रही है।
यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और आगे की सुनवाई में नए खुलासे होने की संभावना है।

_947194797_100x75.png)
_16203873_100x75.png)
_1336119432_100x75.png)
_449255332_100x75.png)