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भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने अपने ऊपर लगे सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोपों को फिर से गलत और राजनीति से प्रेरित बताया है।

उन्होंने 16 अक्टूबर को दिल्ली की एक कोर्ट में कहा कि उन्होंने महिला पहलवानों की पल्स रेट चेक की थी और ऐसा करना कोई जुर्म तो नहीं। उन्होंने कहा कि पल्स रेट चेक करने के पीछे कोई गलत इरादे नहीं थे।

यही नहीं उन्होंने कहा कि मामले की जांच के लिए एक ओवरसाइट कमिटी भी बनी थी, जिसने उन्हें गलत नहीं पाया। वह जांच समिति के सामने भी पेश हुए थे और अपना पक्ष रखा था।

उनके वकील राजीव मोहन ने कहा, छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न में फर्क होता है। यौन उत्पीड़न के केस में तीन साल की एक वक्त सीमा होती है। फिर बाद में शिकायतकर्ता ने छेड़छाड़ के इल्जाम लगाए थे। 21 अप्रैल से पहले बृजभूषण शरण सिंह पर छेड़छाड़ का तो कोई मामला ही नहीं था।

जानें पहलवानों की वकील ने क्या कहा

ऐसे में पहलवानों का पक्ष रख रही वकील रेबेका जॉन ने कहा, जांच समिति ने बृजभूषण शरण सिंह को क्लीन चिट नहीं दी थी। बजाय इसके समिति की रिपोर्ट ऐसी थी कि दोनों पक्षों को खुश कर दिया जाए। इसका जवाब देते हुए उनके वकील मोहन ने कहा, ओवरसाइट कमिटी बनने के बाद भी बृजभूषण शरण सिंह पर केस दर्ज नहीं किया गया था। उस कमिटी का उद्देश्य छेड़छाड़ के किसी मामले की जांच करना नहीं था। ऐसी कोई बात उसमें उठी ही नहीं। ये केस तो बाद में दर्ज कराए गए हैं।

महिला पहलवानों से छेड़छाड़ की बात हो रही है, किंतु किसी की सांस चेक करना गलत नहीं है। इसे अपराध कैसे माना जा सकता है। इसके पीछे कोई सेक्शुअल इरादा नहीं था। हालांकि महिला पहलवानों की वकील रेबेका जॉन ने इस तर्कों का प्रतिवाद किया। उन्होने कहा, ऐसा नहीं है जैसी कहानी आप बता रहे हैं।

बृजभूषण ने सांस चेक करने के बहाने महिला पहलवानों को गलत ढंग से छुआ और इसके बाद बल का प्रयोग भी किया था। ये किसी महिला से छेड़छाड़ का केस बनता है। 

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