Up kiran,Digital Desk : हम सभी चाहते हैं कि हमारा देश सुरक्षित रहे और सेना मजबूत हो। इसी दिशा में शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित 'चाणक्य रक्षा संवाद' में कुछ ऐसी बातें निकलकर आईं, जो हर भारतीय को जाननी चाहिए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि भारत अब रक्षा के मामले में न तो ढिलाई बर्दाश्त करेगा और न ही पुरानी लकीर का फकीर बना रहेगा।
बदलते दौर में बदलने होंगे तरीके
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बहुत ही पते की बात कही। उनका कहना है कि आज की दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। हमारे पड़ोस में (इशारा साफ तौर पर पाकिस्तान और चीन की तरफ था) जो कुछ हो रहा है, उसे देखते हुए हम अतीत के भरोसे नहीं बैठ सकते।
आज खतरा सिर्फ सीमा पर गोलीबारी तक सीमित नहीं है। अब चुनौतियां जटिल हो गई हैं—चाहे वह आतंकवाद हो, समंदर के रास्ते आने वाला दबाव हो, या फिर 'इन्फॉर्मेशन वॉर' (सूचना युद्ध) यानी झूठ और प्रोपेगेंडा के जरिए देश को कमजोर करने की कोशिश। राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि इन खतरों से निपटने के लिए रक्षा क्षेत्र में सुधार (Reforms) कोई "पसंद" का मामला नहीं, बल्कि आज की सबसे बड़ी "जरूरत" है।
शांति प्रिय हैं, पर कमजोर नहीं
भारत का इतिहास रहा है कि हमने कभी पहले वार नहीं किया। रक्षा मंत्री ने भी यही दोहराया कि हम शांति और बातचीत में भरोसा रखते हैं। लेकिन, इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं निकालना चाहिए कि हम अपनी सुरक्षा से समझौता कर लेंगे। जब बात देश की संप्रभुता (Sovereignty) पर आएगी, तो भारत पूरी ताकत और आत्मविश्वास के साथ जवाब देगा। हमारी सेना का आधुनिकीकरण इसी सोच के साथ किया जा रहा है ताकि हम 'किस्मत' के भरोसे नहीं, बल्कि अपनी 'काबिलियत' के दम पर अपना भविष्य तय कर सकें।
बड़ी चेतावनी: हथियार टाइम पर दो, वरना आर्डर कैंसिल
इस कार्यक्रम में एक और बड़ी खबर रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की तरफ से आई, जिसने विदेशी और देशी दोनों हथियार कंपनियों के कान खड़े कर दिए हैं। उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि अब हथियारों की डिलीवरी में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अभी तक देखा गया है कि कई बार रूस (जैसे S-400 सिस्टम) या इजरायल से आने वाले सामानों में वहां के युद्धों के कारण देरी हो जाती है। लेकिन अब भारत सख्त मूड में है। रक्षा सचिव ने कहा कि सरकार ऐसे नियम लाने पर विचार कर रही है कि अगर इमरजेंसी खरीद में 1 साल से ज्यादा की देरी हुई, तो सौदा ही रद्द कर दिया जाएगा। कंपनियों की मनमानी और कीमतों को बढ़ाने की आदत पर भी अब नकेल कसी जाएगी। यह फैसला हमारी सेना को वक्त पर साजो-सामान देने के लिए बहुत जरूरी था।
बजट बढ़ाने की मांग
पड़ोसियों की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए रक्षा सचिव ने यह भी माना कि भारत के रक्षा बजट में करीब 20 फीसदी बढ़ोतरी की जरूरत है। अभी तक सामान्यतः 10 फीसदी की बढ़ोतरी मिलती रही है, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए सेना को और अधिक संसाधनों की दरकार है।
कुल मिलाकर, सरकार का रुख साफ है- भारत को एक 'विकसित राष्ट्र' बनने के लिए पहले एक 'सुरक्षित राष्ट्र' बनना होगा, और इसके लिए कड़े फैसले लेने से हम पीछे नहीं हटेंगे।
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