img

Up Kiran, Digital Desk: भारत अपने पड़ोसी देश चीन के साथ संबंध सुधारने की चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, ड्रैगन का कपटी स्वभाव बदलता नहीं दिख रहा है। दुनिया में भारत का बढ़ता प्रभाव और चीन का विकल्प बनने की उसकी कोशिश उसके पड़ोसियों को रास नहीं आ रही है। उसने एक ऐसा खेल खेला है जिससे भारतीय उद्योग को 32 अरब डॉलर (करीब 2.75 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है। उद्योग जगत ने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है ताकि आने वाले खतरे को समय से पहले टाला जा सके।

उद्योग निकाय ICEA ने सरकार से अपील की है कि चीन ने अपने स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कई ऐसे उपकरणों का निर्यात बंद कर दिया है। इससे देश का 32 अरब डॉलर का निर्यात-संबंधी उत्पादन खतरे में पड़ गया है। औद्योगिक उत्पादन में कमी से देश के निर्यात पर गंभीर असर पड़ सकता है। साथ ही मेक इन इंडिया और पीएलआई जैसी योजनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। यह स्थिति भारतीय निर्यातकों का दुनिया भर के बाजारों से संपर्क भी खत्म कर सकती है।

चीन अपने विशेषज्ञों को भी रोक रहा है

चीन ने भारत को निर्यात के लिए कई ज़रूरी उपकरण और खनिज भेजने से इनकार कर दिया है। इतना ही नहीं, उसने अपने तकनीकी विशेषज्ञों को भारतीय उद्योगों के साथ सहयोग करने से भी रोक दिया है। ये सभी इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिए बेहद ज़रूरी हैं। यह स्थिति भारत द्वारा हाल ही में हासिल की गई उपलब्धियों को भी खतरे में डाल सकती है। इसके अलावा वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत की बढ़ती साख भी खतरे में पड़ सकती है।

... क्या यह पूरी तरह से सुनियोजित है

चीन ने अपने किसी भी निर्यात प्रतिबंध को लिखित रूप में पारित नहीं किया है। चीनी सरकार ने तीन विशिष्ट स्थानों पर भारतीय निर्यात को प्रभावित करने का फैसला किया है और यह पूरी तरह से सुनियोजित है। इनमें से किसी भी प्रतिबंध के लिए कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई है, लेकिन सभी आदेश मौखिक रूप से सीमा शुल्क प्रशासन को दिए गए हैं। ऐसा लगता है कि इनमें से किसी भी प्रतिबंध में चीनी सरकार के वाणिज्य मंत्रालय का कोई हस्तक्षेप नहीं है।

चीन iPhone के पीछे क्यों पड़ा है

Apple के लिए चीन सबसे बड़ी समस्या रहा है, क्योंकि वह अपना ज़्यादातर उत्पादन चीन से भारत स्थानांतरित करके उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। यही वजह है कि चीनी दबाव के चलते एप्पल की मैन्युफैक्चरिंग कंपनी फॉक्सकॉन को भारत में काम कर रहे अपने 300 इंजीनियरों को वापस भेजना पड़ा। इससे एप्पल के उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका थी। हालाँकि, कंपनी ने दूसरे प्लांटों से विशेषज्ञों को बुलाकर इसकी भरपाई कर ली।

--Advertisement--