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13 सितंबर को जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में दहशतगर्दों के साथ सेना की मुठभेड़ (Anantnag Encounter) ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। एनकाउंटर में इंडियन आर्मी ने अपने तीन जवान खो दिए। एनकाउंटर में शहीद होने वालों में 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर राशीद नायक और डीएसपी हुमायूं भट हैं। कश्मीर में 34 साल से जारी आतंकी हिंसा में ये पहली बार नहीं है जब आतंकियों से लड़ते हुए सुरक्षा बलों को इस तरह का भारी नुकसान उठाना पड़ा हो। मगर इस एनकाउंटर पर 3 बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं।

पहला सवाल घेराबंदी के लिए सूरज डूबने का इंतजार क्यों किया गया? गढ़ में जहां मुठभेड़ (Anantnag Encounter) हो रही है, उसी पहाड़ी की ढलान पर घने पेड़ों, झाड़ियों और चट्टानों वाला क्षेत्र है। वहां कई प्राकृतिक गुफाएं भी हैं। सूत्रों के अनुसार पिछले मंगलवार शाम को अभियान की शुरुआत हुई थी। जिस वक्त घेराबंदी की शुरुआत हुई, उस वक्त सूरज पूरी तरह नहीं डूबा था। इसलिए आतंकियों को अभियान की भनक लग गई थी।

दूसरा सवाल क्या जवानों ने बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं पहने थे? गडोली एनकाउंटर (Anantnag Encounter) इस पूरे अभियान की कमजोर रणनीति और एसओपी के उल्लंघन की तरफ इशारा करती है। शहीदों ने क्या बुलेट प्रूफ जैकेट और पटके नहीं पहन रखे थे? इसका कोई जवाब नहीं दे रहा।

तीसरा सवाल क्या मुखबिर ने धोखा दिया?

जिस मुखबिर ने खबर दी वो आतंकियों के साथ भी निरंतर संपर्क में होगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। कोई भी मुखबिर आतंकियों को बता कर सुरक्षा बलों को उनके ठिकाने की तरफ लेकर आसानी से नहीं जाता। आतंकी उसे मार सकते हैं। इसलिए मौजूदा मुठभेड़ (Anantnag Encounter) में अगर मुखबिर साथ था तो वो कहां था। इसके अलावा कई सूत्र दावा करते हैं कि सुरक्षा बलों ने आतंकियों के कुछ ओवरग्राउंड वर्कर भी पकड़ रखे थे। उन्होंने ही आतंकी ठिकाने की सूचना दी थी।

 

 

 

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