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उत्तराखंड में सभी धर्मों के लिए अगर एक समान कानून लागू (यूसीसी) होता है तो इसका मुस्लिम समुदाय पर क्या असर पड़ सकता है, आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं। उत्तराखंड में करीब 15 से 16 लाख मुस्लिम आबादी है और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कह दिया है कि जल्द ही राज्य में यूसीसी लागू कर दिया जाएगा।

तो अगर आने वाले कुछ महीनों में राज्य में सबके लिए एक कानून लागू होगा तो शादी, तलाक, गोद लेने का अधिकार समेत कई नियम हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए समान हो जाएंगे। तो सबसे पहले बात करते हैं कि अगर सबके लिए एक समान कानून लागू हुआ तो मुसलमान पुरुषों की शादी पर इसका क्या असर पड़ेगा? चार शादियां करने के अधिकार पर क्या लगेगा बैन? भारत में शरीयत कानून की धारा दो के मुताबिक मुसलमान पुरुष चार शादियां कर सकता है। इसके लिए उसे पहली पत्नी की सहमति की कोई आवश्यकता नहीं है।

वहीं इसके ठीक विपरीत मुस्लिम महिला अपने पति से तलाक लिए बगैर दूसरी शादी नहीं कर सकती। अब अगर उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होगा तो मुस्लिम महिलाओं के हक को ध्यान में रखते हुए हिंदुओं के समान ही शादी के कानून मुस्लिम पुरुषों के लिए भी लागू हो सकते हैं। क्योंकि भारत में हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन सभी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत बिना पहली पत्नी को तलाक दिए दूसरी शादी नहीं कर सकते।

यदि हम यूसीसी को लेकर प्रधानमंत्री समेत अन्य बीजेपी नेताओं के बयानों पर नजर डालें तो सभी मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों पर जोर दे रहे हैं। 

अब बात करते हैं तलाक और शादी की उम्र की। अगर यूसीसी में सभी के लिए शादी और तलाक के नियम एक समान हो गए और हिंदू मैरिज एक्ट के तहत नियम बने तो मुसलमानों को भी तलाक के बाद अपनी पत्नी को आजीवन या जब तक उसकी पत्नी दूसरी शादी नहीं कर सकती तब तक गुजारा भत्ता देना होगा। जबकि मुसलमान पुरुषों को केवल तलाक के तीन महीने 10 दिन तक ही अपनी तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देना होता है। इसके अलावा पर्सनल लॉ में मुस्लिम लड़की की शादी की उम्र 15 साल है।

UCC का लगातार हो रहा है विरोध

ऐसे में अधिकांश लड़कियां शिक्षा से वंचित रह जाती हैं और हो सकता है कि नए नियम में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन के लिए लागू नियमों के मुताबिक मुस्लिम लड़की की शादी की उम्र को भी बढ़ाया जा सकता है। तो ये तीन नियमों में बदलाव होता है तो मुस्लिम महिलाओं के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि उत्तराखंड के मुस्लिम अभी से यूसीसी के आने का विरोध करने लगे हैं। देवभूमि में मुस्लिम समाज के सबसे बड़े संगठन मुस्लिम सेवा संगठन ने यूसीसी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है। 

बता दें कि अगर कोई मुस्लिम शख्स गैर-कानूनी रूप से शादी या फिर तलाक करता है, तो यूसीसी के नियम उस पर भारी पड़ सकते हैं।

 

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