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नई दिल्ली। : लोकसभा चुनाव के पहले Supreme Court ने आज एक अहम फैसला सुआया है। Supreme Court ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसपर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की आलोचना करते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टियों को हो रही फंडिंग की जानकारी मिलना आवश्यक है। इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।  Supreme Court ने एसबीआई बैंक को 2019 से अब तक चुनावी बॉन्ड की पूरी जानकारी देने का आदेश दिया है।

उल्लेखनीय है कि Supreme Court में चार याचिकाएं दाखिल कर लेक्टोरल बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती दी गयी थी। या याचिकाएं कांग्रेस नेता जया ठाकुर, सीपीएम और एडीआर की ओर से दाखिल की गयी थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने ाचिका पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गत दो नवंबर को ही फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया।

चुनावी बॉन्ड योजना के तहत चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में स्थापित ईकाई द्वारा खरीदा जा सकता था। कोई भी नागरिक अकेले या समूह के साथ मिलकर चुनावी बॉन्ड खरीद सकता था। इसके अलावा पंजीकृत राजनीतिक दल और लोकसभा या विधानसभा के पिछले चुनावों में न्यूनतम एक प्रतिशत वोट पाने वाले दल भी चुनावी बॉन्ड प्राप्त कर सकते हैं। चुनावी बॉन्ड की खासियत यह थी कि दानदाता की पहचान गुप्त रखी जाती है। 

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