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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय टेनिस के आसमान का एक चमकता सितारा आज हमेशा के लिए खेल के कोर्ट से विदा हो गया। भारत के सबसे अनुभवी और सफल टेनिस खिलाड़ियों में से एक, रोहन बोपन्ना ने अपने 25 साल के लंबे और शानदार प्रोफेशनल करियर पर विराम लगाने की घोषणा कर दी है। यह खबर भारतीय खेल प्रेमियों के लिए एक भावुक पल है, क्योंकि बोपन्ना सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक प्रेरणा थे, जिन्होंने दशकों तक तिरंगे को दुनिया भर में शान से लहराया।

एक ऐसा सफर जो हर किसी के लिए मिसाल है

 

रोहन बोपन्ना की कहानी हार न मानने वाले जज्बे की कहानी है। 40 की उम्र पार करने के बाद भी जब ज्यादातर खिलाड़ी रिटायरमेंट के बारे में सोचने लगते हैं, तब बोपन्ना अपने करियर के शिखर पर थे। उन्होंने उम्र को सिर्फ एक नंबर साबित किया और युवाओं को यह सिखाया कि अगर जुनून और मेहनत हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है।

डबल्स मुकाबलों में उनकी सर्विस और नेट पर उनकी फुर्ती का कोई जवाब नहीं था। उन्होंने अपने करियर में कई बड़े खिताब जीते, लेकिन सबसे यादगार पल 2017 में आया, जब उन्होंने फ्रेंच ओपन का मिक्स्ड डबल्स खिताब अपने नाम किया। यह उनके करियर का एकमात्र ग्रैंड स्लैम था, लेकिन यह जीत हर भारतीय की जीत थी।

डेविस कप का 'योद्धा'

 

जब भी देश के लिए खेलने की बात आती थी, रोहन बोपन्ना हमेशा सबसे आगे खड़े रहते थे। डेविस कप (टेनिस का वर्ल्ड कप) में उन्होंने दशकों तक भारत का प्रतिनिधित्व किया। कई यादगार जीतें दिलाईं और युवा खिलाड़ियों के लिए एक मेंटोर की भूमिका निभाई। उनका नाम हमेशा भारत के उन महान खिलाड़ियों में लिया जाएगा, जिन्होंने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।

क्या कहा बोपन्ना ने?

 

अपने रिटायरमेंट की घोषणा करते हुए बोपन्ना ने कहा, "यह फैसला लेना आसान नहीं था, लेकिन मुझे लगता है कि यह सही समय है। मैंने अपने देश के लिए 25 साल तक खेला, और यह मेरे लिए सबसे बड़े सम्मान की बात है। मैं अपने परिवार, कोच और उन सभी फैंस का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, जिन्होंने मेरे इस सफर में मेरा साथ दिया।"

बोपन्ना के जाने से भारतीय टेनिस में एक खालीपन जरूर आएगा, जिसे भरना आसान नहीं होगा। लेकिन उनकी विरासत, उनकी मेहनत और देश के प्रति उनका समर्पण आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

गुडबाय, चैंपियन! आपके इस शानदार सफर के लिए शुक्रिया।