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उत्तराखंड स्थित सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए अलग अलग प्लान तैयार किए गए पर कोई भी प्लान कारगर साबित नहीं हुआ। ऐसे में अब श्रमिकों को टनल से मुक्त कराने के लिए 3 प्लान बनाए गए हैं. जिसके तहत आर्मी को भी इस काम में शामिल किया गया है. आइए जानते है कि मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कौन से तीन प्लान बनाए गए हैं।

उत्तराखंड स्थित सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए अलग अलग प्लान तैयार किए गए पर कोई भी प्लान कारगर साबित नहीं हुआ। ऐसे में अब श्रमिकों को टनल से मुक्त कराने के लिए 3 प्लान बनाए गए हैं. जिसके तहत आर्मी को भी इस काम में शामिल किया गया है. आइए जानते है कि मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कौन से तीन प्लान बनाए गए हैं।

प्लान वन- राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) की एक यूनिट बीते दिनो मलबे के माध्यम से 22 मीटर की खुदाई के बाद एक रुकावट आने के बाद सिल्कयारा की तरफ से सुरंग के मुहाने से ड्रिलिंग फिर से शुरू करेगी. ये पहला बचाव (क्षैतिज) पाइप था, जिस पर कार्य चुनौतियों से भरा रहा है. मजदूरों को इस 900 मीटर चौड़े पाइप से रेंगकर बाहर निकलना था, मगर अफसर केवल 22 मीटर ही ड्रिल कर पाए थे, तभी काम रोक दिया गया. जब मशीन चट्टानों से टकराकर टूट गई या क्षतिग्रस्त हो गई।

दूसरी तरकीब- पारंपरिक ड्रिल और ब्लास्ट तरकीब का इस्तेमाल करके टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा सुरंग के बड़कोट छोर से 483 मीटर लंबी मगर संकरी सुरंग बनाई जाएगी. ये एक और बैकअप प्लानिंग है और इस पर काम अभी शुरू होना बाकी है।

तीसरी तरकीब- टनल के ऊपर से वर्टिकल रूप से एक दो मीटर चौड़ा गड्ढा खोदने की रणनीति बनाई गई है, जो मजदूरों तक पहुंचने के लिए प्रवेश द्वार से 320 मीटर की दूरी तक किया जाएगा। इस मिशन की जिम्मेदारी सतलुज जल विद्युत निगम (SJVN) को दी गई थी और खुदाई शुरू करने वाली पहली मशीन पहले ही साइट पर पहुंच चुकी है. अगले दो-तीन दिन में गुजरात और ओडिशा से दो और मशीनें पहुंचने का अनुमान है।

 


 

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