मिसाल: अब किसी भी विधवा को नहीं गुजरना होगा इस दर्द से, पंचायत ने इन चीजों पर लगाई रोक

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में एक ग्राम पंचायत ने अपने फैसले से मिसाल कायम की है। शिरोल तालुका की हर्वर्ड ग्राम पंचायत ने बैठक कर एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव में विधवावन से जुड़े संस्कारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। खबरों की मानें तो ग्राम पंचायत की तरफ से पास किये गए प्रस्ताव में कहा गया, ‘हमारे गांव में किसी भी महिला को विधवावन के दर्द भरे संस्कारों से अब नहीं गुजरना होगा।

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प्रस्ताव में कहा गया है कि पहले अगर किसी महिला का पति मर जाता है तो उसे मंगलसूत्र उतारने, चूड़ियां तोड़ने और मांग से सिंदूर मिटाने की परंपरा थी। यह प्रक्रिया किसी भी महिला के लिए काफी दर्दनाक होती है। साथ ही विधवा को किसी भी धार्मिक या सामाजिक आयोजन में शिरकत नहीं करने दिया जाता था। अब इस क्रूर और अनावश्यक प्रकिया को हम अपने गांव में प्रतिबंधित कर रहे हैं।’

गांव के सरपंच श्रीगोंडा पाटिल का कहना है कि कोरोना काल में कई लोगों की गांव में असमय मृत्यु हुई थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया। उन्होंने कहा, ‘गांव के किसी 25 साल के युवा की मौत हो गई तो उसकी पत्नी को विधवापन से जुड़े रीति-रिवाजों को अपनाना पड़ा, ऐसे में विधवाओं को जो कष्ट सहना पड़ा, उसे देखते हुए हमें यह प्रस्ताव लाना पड़ा। ‘ तकि किसी भी विधवा को इस तरह के दर्द से न गुजरना पड़े।

श्रीगोंडा पाटिल ने बताया कि, महात्मा फुले सोशल फाउंडेशन के प्रमोद झिंगाडे को सबसे पहले इस प्रस्ताव का आइडिया आया था।पाटिल ने बताया कि, ‘ हर परिवार ने लड़कियों का दुख देखा है, यही वजह है कि पंचायत की बैठक में प्रस्ताव बिना किसी विरोध के यह पास हो गया।’ उन्होंने यह भी कहा कि विधवा विवाह पर भी अब कोई रोक नहीं है। इससे पहले अधिकतर महिलाएं और युवा लड़किया इन रीति-रिवाजों की वजह से दोबारा से शादी नहीं कर पाती थी।

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