
नई दिल्ली॥ पूरे देश में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है। हिन्दी की सर्वप्रथम कहानी कौन सी है, इस विषय में विद्वानों में जो मतभेद शुरू हुआ था वह आज भी जैसे का तैसा बना हुआ है। तो आईये जानते हैं हिंदी की पहली कहानी के बारे में।
हिन्दी की पहली कहानी समझी जाने वाली कढ़ी के तहत सैयद इंशाअल्लाह खाँ की ‘रानी केतकी की कहानी’ (सन् 1803 या सन् 1808 ), राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द की ‘राजा भोज का सपना’ (19 वीं सदी का उत्तरार्द्ध), किशोरी लाल गोस्वामी की ‘इन्दुमती’ (सन् 1900), माधवराव सप्रे की ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ (सन् 1901), आचार्य रामचंद्र शुक्ल की ‘ग्यारह वर्ष का समय’ (सन् 1903) और बंग महिला की ‘दुलाई वाली’ (सन् 1907) नामक स्टोरियां आती हैं।
आपको बताये इनमें से किसी ना किसी कहानी को भिन्न-भिन्न लेखकों के अपने अपने तर्कों के मुताबिक पहली कहानी बताया जाता रहा है। सबसे खास बात ये है कि कहानी के रचनाकाल के निर्धारण की अपेक्षा कहानी के स्वरुप को लेकर तर्क अधिक उठाते रहे हैं।
सबसे अधिक हास्यास्पद एवं स्वार्थपूर्ण खींचतान में सन् 1803 या 1808 में लिखी ‘रानी केतकी की कहानी’ के एक सौ बारह या 1-7 सौ वर्ष बाद सन् 1915 में लिखी चंद्रधर शर्मा गुलेरी की ‘उसने कहा था’ नामक कहानी को भी अकारण इसमें घसीट लिया गया है। अगर हिंदी की किताबों से देखा जाए तो रानी केतकी की कहानी को प्रथम कहानी बताया जाता है।