14 अरब के चर्चित स्मारक घोटाले में चार अधिकारी गिरफ्तार, मायावती शासनकाल में हुआ था बड़ा खेल

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लखनऊ। मायावती शासनकाल में हुए स्मारक घोटाले की परतें खुल चुकी हैं। वर्ष 2007 से 2011 में मायावती शासनकाल के दौरान लखनऊ और नोएडा में बने इन भव्य स्मारकों में शामिल एजेंसियों ने बड़े पैमाने पर मानकों का उल्लंघन किया था। दलित महापुरुषों के नाम पर बने इन स्मारकों में करीब 14 अरब का घोटाला हुआ था। इस मामले में गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस क्रम में विजिलेंस टीम ने चार अधिकारियों को गिरफ्तार किया है।

गौरतलब है कि वर्ष 2007 से 2011 में मायावती शासनकाल के दौरान लखनऊ और नोएडा में दलित महापुरुषों के नाम पर पांच स्मारक पार्क बनाने के लिए लगभग 4,300 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गए थे। इसमें से करीब 14 अरब का घोटाला हुआ था। इस चर्चित घोटाले की जांच यूपी विजिलेंस की लखनऊ टीम कर रही थी।

इस क्रम में विजिलेंस टीम ने वित्तीय परामर्शदाता विमलकांत मुद्गल, महाप्रबंधक तकनीकी एसके त्यागी, महाप्रबंधक सोडिक कृष्ण कुमार,इकाई प्रभारी कामेश्वर शर्मा को गिरफ्तार किया है। इन चारों अधिकारियों से टीम पूछताछ कर रही है।

उल्लेखनीय यही कि अखिलेश यादव ने प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद पार्कों और स्मारकों में पत्थरों को लगाने में हुए घोटाले की जांच उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त से करने की सिफारिश की थी। लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन के मेहरोत्रा ने अपनी जांच रिपोर्ट में 1400 करोड़ रुपये के घोटले की पुष्टि करते हुए 19 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की सिफ़ारिश मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से की थी।

 

लोकायुक्त ने अपनी जाँच में पाया था कि स्वीकृत राशि में से करीब एक तिहाई रकम भ्रष्टाचार में चली गई। इस निर्माण कार्य में इस्तेमाल किए गए गुलाबी पत्थरों की सप्लाई मिर्जापुर से की गई, जबकि इनकी आपूर्ति राजस्थान से दिखाकर ढुलाई के नाम पर भी पैसा लिया गया था। पत्थरों को तराशने के लिए लखनऊ में मशीनें मंगाई गईं इसके बावजूद इन पत्थरों के तराशने में हुए खर्च का भुगतान तय रकम से दस गुने दाम पर ही किया गया। इसी तरह इन स्मारकों में शामिल एजेंसियों ने बड़े पैमाने पर मानकों का उल्लंघन किया था।

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