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Up Kiran, Digital Desk: देश के खेत-खलिहानों में इस बार उम्मीद की फसल और भी लहलहाएगी। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक में किसानों के लिए कई बड़े फैसले लिए गए जिनमें सबसे महत्वपूर्ण था खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में इज़ाफा। यह फैसला उस संघर्षशील किसान के लिए राहत की बारिश जैसा है जिसकी आंखें आसमान की ओर टिकी रहती हैं कभी बारिश के लिए, कभी सरकार की राहत के लिए।
तीन बड़े फैसले एक स्पष्ट संदेश, किसान पहले
कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को जानकारी दी कि बैठक में कुल पांच बड़े फैसलों को मंजूरी मिली है जिनमें से तीन सीधे-सीधे देश के अन्नदाताओं से जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन वर्ष 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी को हरी झंडी दे दी है।
इस बढ़ोतरी का उद्देश्य साफ है किसानों को उनकी उपज के लिए ऐसा मूल्य मिले जो न सिर्फ लागत वसूल करे बल्कि मुनाफे की गुंजाइश भी बनाए। सरकार का दावा है कि यह फैसला 2018-19 के बजटीय वादे की कड़ी है जिसमें यह तय किया गया था कि एमएसपी को औसत उत्पादन लागत के न्यूनतम 1.5 गुना पर सुनिश्चित किया जाएगा।
नाइजरसीड बना हीरो रागी कपास तिल भी आगे
इस बार सबसे बड़ी बढ़ोतरी नाइजरसीड (820 रुपये/क्विंटल) के लिए की गई है एक फसल जो अक्सर नीति विमर्श से बाहर रह जाती है मगर आदिवासी और सीमांत किसानों के लिए जीवनरेखा जैसी है। इसके अलावा रागी (596 रुपये/क्विंटल) कपास (589 रुपये/क्विंटल) और तिल (579 रुपये/क्विंटल) के एमएसपी में भी महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की गई है जो इस बात का संकेत है कि सरकार अब उन पारंपरिक और पोषणयुक्त फसलों की ओर भी ध्यान दे रही है जो ग्रामीण भारत की सांस्कृतिक और आहारिक पहचान से जुड़ी हैं।
बाजरा और मक्का फायदे का सौदा
मंत्री ने बताया कि किसानों को उनकी लागत पर सबसे अधिक लाभ बाजरा (63%) में मिलने का अनुमान है इसके बाद मक्का और तुअर (59%) तथा उड़द (53%) का स्थान है। इसका अर्थ है कि इन फसलों की खेती करने वाले किसानों को उनकी मेहनत का वास्तविक लाभ मिल सकता है। यह एक संकेत है फसल सिर्फ बोई नहीं जा रही बल्कि उसकी कीमत भी अब संजीदगी से तय की जा रही है।
कर्ज नहीं अब सहारा बनेगा, एमआईएसएस योजना की वापसी
कृषि केवल बीज और खाद का खेल नहीं है यह भरोसे और वित्तीय सुरक्षा का भी मामला है। इसी दिशा में एक और बड़ी राहत आई है। सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस) को जारी रखने की मंजूरी दी है। यह योजना उन किसानों के लिए है जो बैंक तक पहुंच बना पाए हैं और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के माध्यम से ऋण लेते हैं।
इस योजना के अंतर्गत अब भी किसानों को 3 लाख रुपये तक का अल्पकालिक ऋण 7% की रियायती दर पर मिलेगा। अगर समय पर भुगतान किया गया तो 3% का और प्रोत्साहन यानी कुल मिलाकर केवल 4% ब्याज दर। देश के 7.75 करोड़ से अधिक केसीसी खातों वाले किसानों के लिए यह निर्णय न केवल राहत है बल्कि कृषि को संस्थागत ढांचे के भीतर बनाए रखने की कोशिश भी है।
खेत से बाजार तक सीधी राह
कैबिनेट ने बुनियादी ढांचे के विकास को भी मजबूती से आगे बढ़ाने का संकेत दिया है। आंध्र प्रदेश के कृष्णापट्टनम पोर्ट तक 4 लेन हाइवे की मंजूरी बाडवेल से नेल्लौर तक नया हाइवे और तरलाम से नागदा तक रेलवे की चार लाइनें बिछाने की स्वीकृति दी गई है।
विशेष रूप से रतलाम-नागदा और वर्धा-बल्हारशाह मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को हरी झंडी मिलना इस बात की ओर इशारा करता है कि सरकार अब रेल नेटवर्क को भी उस रफ्तार से बढ़ा रही है जो माल और यात्री दोनों की बढ़ती मांग को पूरा कर सके। लगभग 3399 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली ये लाइनें न केवल राज्यों को जोड़ेंगी बल्कि कृषि उत्पादों को तेज़ी से मंडियों तक पहुंचाने का रास्ता खोलेंगी।
इन परियोजनाओं से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के चार जिलों को लाभ होगा साथ ही करीब 784 गांवों की 19.74 लाख से अधिक आबादी को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। यह पीएम गति शक्ति मास्टरप्लान का ठोस परिणाम है एक ऐसी योजना जो सोच को ज़मीन पर उतार रही है।
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