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उत्तर प्रदेश के घोसी में हुए उपचुनाव में सपा के प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने एक बड़े वोटों के अंतर से लगभग जीत हासिल कर ली है। घोसी सीट पर बीजेपी प्रत्याशी दारा सिंह चौहान चुनाव हार चुके हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह जीत चुके हैं और इस जीत की आहट से समाजवादी पार्टी में खुशियों की लहर है और सबसे ज्यादा खुश कोई नजर आ रहा है तो वो है चाचा शिवपाल।

चाचा शिवपाल यादव की खुशी छिपाए नहीं छिपा रही और खुशी के पीछे की असल वजह हम आपको बताएंगे। घोसी विधानसभा सीट पर सपा के सुधाकर सिंह की सबसे ज्यादा मशक्कत शिवपाल सिंह यादव ने ही की थी। शिवपाल गांव गांव घूमकर सुधाकर को जिताने के लिए दिन रात एक कर दिया। चुनाव प्रचार थमने के बाद उन्होंने पड़ोसी जिले आलमनगर में भी डेरा जमा लिया था।

दरअसल, घोसी विधानसभा उपचुनाव को सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था। ऐसा पांच साल में पहली बार हुआ था जब किसी चुनाव में शिवपाल यादव को अखिलेश ने इतना बड़ा टास्क दिया हो। घोसी में बीजेपी नेताओं के खिलाफ माहौल बनाना और पार्टी पर लगे आरोपों पर मजबूती से डिफेंड करने की शिवपाल की योजना भी कारगर रही।

घोसी में शिवपाल यादव एनडीए गठबंधन के तमाम नेताओं को भी अकेले चुनौती दी। राजपाल और चौहान वोट बैंक में सेंध लगाने के साथ साथ दलित वोट बैंक को भी साधने की कोशिश में जुटे रहे। ओमप्रकाश राजभर हों या संजय निषाद या कोई दारा सिंह सबसे अकेले लड़ते नजर आए। शिवपाल सिंह यादव भले ही पार्टी के घोषित प्रत्याशी हों, मगर प्रतिष्ठा तो शिवपाल सिंह यादव की ही दांव पर लगी थी।

सियासी रणनीतिकार हैं कि घोसी में शिवपाल मैनपुरी मॉडल पर काम कर रहे थे।

 

 

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