img

होली के मौके पर आम आदमी को खाने वाले तेल की कीमतों में आई तेजी से राहत मिली है. मांग बढ़ने के बावजूद खाने वाले तेल के दाम गिर रहे हैं। खाद्य तेल सस्ता होने के पीछे विदेशी बाजार में खाद्य तेल के दाम में गिरावट और देश में तिलहन के उत्पादन में बढ़ोतरी को बताया जा रहा है।

फरवरी में खाने के तेल में 10 % की गिरावट आई है। एक साल में ये 30 % तक सस्ते हो गए हैं। बीते वर्ष इसी दिन सरसों का तेल 165 रुपये से 170 रुपये लीटर बिका था, जो अब 135 रुपये से 140 रुपये लीटर पर आ गया है. साथ ही रिफाइंड सोयाबीन तेल की कीमत 140-145 रुपये से घटकर 115-120 रुपये प्रति लीटर और सन फ्लावर तेल की कीमत 135-140 रुपये से घटकर 115-120 रुपये प्रति लीटर हो गई है।

आंकड़ों पर नजर डालें तो एक महीने में सरसों तेल 10 %, सोयाबीन तेल 3 % सस्ता हुआ है. आयातित तेलों में, कच्चे पाम तेल की कीमतें सालाना आधार पर लगभग 30 प्रतिशत गिरकर 95 रुपये प्रति लीटर और आरबीडी पामोलिन की कीमतें लगभग 25 प्रतिशत गिरकर 100 रुपये प्रति लीटर हो गई हैं।

केंद्रीय तेल उद्योग और व्यापार संगठन से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि होली पर भले ही खाद्य तेल की मांग बढ़ी हो, मगर इसके दाम कम हो रहे हैं. क्योंकि देश में तिलहन का बंपर उत्पादन होने की उम्मीद है और विदेशी बाजार में भी खाद्य तेल सस्ता है. इस बीच, भारत में खाद्य तेल की कीमतें काफी हद तक विदेशी बाजारों पर निर्भर हैं क्योंकि घरेलू खपत को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में खाद्य तेल का आयात किया जाता है।

 

--Advertisement--