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ऐसी पारी कभी देखी होगी। ऐसी पारी न कभी सुनी होगी। जज्बे, जोखिम और जादू की गजब जुगलबंदी थी। यह पारी अद्भुत और अविश्वसनीय थी। पारी जख्मी शेर की तरह बल्लेबाजी की। मैक्सवेल ने लड़खड़ाते हुए नाबाद डबल सेंचुरी जमा दी। मैक्सवेल ने सेमीफाइनल में जगह बना ली ऑस्ट्रेलिया ने।

कभी लंगड़ा रहे थे तो कभी चलने में भी बेतहाशा दर्द महसूस कर रहे थे मैक्सवेल। लेकिन उन्होंने वो करिश्मा कर दिखाया जो हमेशा याद किया जाता रहेगा। 292 के लक्ष्य का पीछा करते हुए 91 रन पर सात बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे। लगा कि अफगानिस्तान की जीत की पक्की थी। लेकिन किसे पता था कि मैक्सवेल के बल्ले से अभी ऐसा तूफान आना बाकी है जो अफगानिस्तान की गेंदबाजी की धज्जियां उड़ाकर रख देगा।

मांसपेशियों में खिंचाव के बावजूद वह पैट कमिंस के साथ अकेले दम पर लड़ते रहे, रन बनाते रहे। रुक रुककर फीजियो से अपना इलाज भी करवाते रहे, लेकिन छक्के लगाने में उन्होंने कोई कंजूसी नहीं बरती। आखिरकार 10 छक्के के साथ ही उन्होंने इतिहास रच दिया। अपना दोहरा शतक पूरा किया।

ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे बड़ी 201 रन की वनडे पारी खेलने का रिकॉर्ड बनाया और टीम के सेमीफाइनल में पहुंचने पर मुहर भी लगा दी। 21 चौके और 10 छक्के जमाकर मैक्सवेल ने वनडे इतिहास में लक्ष्य का पीछा करते हुए सबसे बड़ी पारी खेली। मैक्सवेल ने मैक्सवेल रन बनाते रहे, रिकॉर्ड तोड़ते रहे और एक ऐसी पारी खेल गए जो हमेशा हमेशा के लिए ऑस्ट्रेलिया और वर्ल्ड कप में ही नहीं क्रिकेट के इतिहास की यादगार पारियों में शुमार हो गई।

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