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लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन और आरक्षण (संशोधन) बिल पर बहस हो रही है। इस बार गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि मैं जो बिल लाया हूं वो उन लोगों के लिए इंसाफ और अधिकारों से संबंधित है जिनके साथ अन्याय हुआ है। भारतीय संविधान की मूल भावना है कि किसी भी समाज के वंचितों को आगे लाना चाहिए। गृह मंत्री ने बताया कि 70 वर्षों से पीड़ित लोगों को न्याय देने के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्निर्माण संशोधन विधेयक लाया गया है।

अमित शाह ने आगे कहा कि देशभर के लगभग 46,631 परिवार और 1,57,967 लोग जम्मू-कश्मीर छोड़ने को मजबूर थे, उन्हें न्याय देने के लिए सरकार यह बिल लेकर आई है. अगर कांग्रेस शुरू से ही वोटबैंक का ख्याल किए बिना आतंकवाद से निपटती तो कश्मीरी पंडितों को अपनी जमीन छोड़कर विस्थापित नहीं होना पड़ता।

शाह ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए जिम्मेदार लोग विदेश में छुट्टियां मना रहे हैं। यह कानून उन लोगों को आगे बढ़ाने का बिल है जिनके साथ बीते 70 सालों में अन्याय हुआ है। ये विधेयक हमारे ही देश में विस्थापित लोगों को सम्मान और नेतृत्व देने के लिए है। मुझे ख़ुशी है कि कोई भी इसके खिलाफ नहीं है। जो लोग सवाल कर रहे हैं कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से क्या होगा, मैं कहना चाहूंगा कि कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से उनकी आवाज कश्मीर विधानसभा में सुनी जाएगी और दोबारा विस्थापन की स्थिति पैदा नहीं होगी।
 

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