नई दिल्ली॥ चीन की अकड़ कम करने के लिए भारत बड़ा ही खतरनाक प्लान तैयार किया है। चीन के खिलाफ हिंदुस्तान कड़े आर्थिक फैसले कर सकता है। चीनी प्रोजेक्ट को लेकर कड़ाई होगी। उन प्रोजेक्ट को रद्द किया जा सकता है, जिनमें चीनी कम्पनियों ने करार हासिल किए है।
जानकारी के मुताबिक, इनमें मेरठ रैपिड रेल का प्रोजेक्ट भी शामिल है, जिसकी बिड चीनी कम्पनी ने हासिल की है। चीनी सीमा पर विवाद के बाद हिंदुस्तान सरकार ने उन प्रोजेक्ट की समीक्षा शुरू कर दी है, जो चीनी कंपनियों को दी गई है। इसमें दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट भी है।
सरकार की ओर से बिड को रद्द करने के लिए सभी कानूनी पहलुओं को देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस बिड को सरकार रद्द कर सकती है। दिल्ली-मेरठ के बीच सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनना है। इस प्रोजेक्ट से दिल्ली, गाजियाबाद होते हुए मेरठ से जुड़ेगी। 82।15 किलोमीटर लंबे आरआरटीएस में 68.03 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड और 14।12 किलोमीटर अंडरग्राउंड होगा। इस प्रोजेक्ट से मुख्य रूप से उत्तराखंड, उ0प्र0 जाने वालों को खासा फायदा होगा।
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राजधानी दिल्ली व मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट के अंडरग्राउंड स्ट्रेच बनाने के लिए सबसे कम रकम की बोली एक चीनी कम्पनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कम्पनी लिमिटेड (STEC) ने लगाई है। एसटीईसी ने 1126 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। चीनी कम्पनी को स्ट्रेच का काम दिए जाने का विपक्ष सहित स्वदेशी जागरण मंच विरोध कर रही है।
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