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लखनऊ। अक्सर ऐसा होता है कि सूप में दाना और सूप उताना हो जाया करता है...! उत्तर प्रदेश वन एवं पर्यावरण के एक अफसर संजय श्रीवास्तव के भाग यानी भाग्य से छींका टूटा और एक डाक्टर को उत्तर प्रदेश वन एवं पर्यावरण विभाग का मंत्री बना दिया गया...!!! मतलब समझे..!! नहीं समझे तो समझा दूं कि दोनों "रक्त भाई" मिल गये...ए पाज़िटिव+एक पाज़िटिव...!! सैंया कोतवाल भरे तो फिर 'डर" खुद ही "डर' गया...!! श्रीवास्तव भैया जी को ताकत मिल गई और मंत्री जी के दबाव में संजय श्रीवास्तव पीसीसीए वाइल्डलाइफ चीफ बन गये..। जब ये सब चल रहा था उस वक्त आशा से तिवारी वन सचिव थे...शासन में वन कैडर का सचिव /विशेष विषय विशेषज्ञ के रूप माना जाता है..! तिवारी जी का एक बड़ा किस्सा है उस पर अगली किश्त में... लेकिन इधर मंत्री सक्सेना+श्रीवास्तव+तिवारी की खांचा फिटिंग हो गई..!!
जब सारे खांचे फिट-फाट हो गये तो लखनऊ में कुकरैल सफारी बनाने योजना बनी..। योजना आगे बढ़ी...
सूत्रों की मानें तो आशीष तिवारी और संजय श्रीवास्तव ने ही शासन में पैरवी करके पहले से भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपी राम कुमार को कुकरैल नाइट सफारी का डायरेक्टर बनवाया ताकि लूट खसोट का सिलसिला अनवरत चालू रह सके। हालांकि सेवानिवृत होने के बाद संजय श्रीवास्तव एडवाइजरी बनने के लिए एडी से चोटी का जोर लगाए पड़े हैं ताकि एडवाइजरी की आड में वन विभाग में दखल बनाए रख सकें।
क्या है मामला
मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट कुकरैल नाइट सफारी खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। आपको बता दें कि जू/सफारी की स्थापना आदि के संबंध में वर्ष 2023 में माo उच्चतम न्यायालय , नई दिल्ली में योजित रिट पिटिशन पर न्यायालय द्वारा दिनांक 19.02.2024 को पारित आदेश ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ये मामला शासन के संज्ञान में तब आया जब प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव ने अपने पत्र दिनांक 14.02.2025 के द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से उपरोक्त केस में आईo एo दाखिल करने हेतु अनुमति के लिए शासन को पत्र लिखा।
शासन द्वारा प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष उत्तर प्रदेश और प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि जू/ सफारी की स्थापना आदि के संबंध में माo उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 19.02.2024 के प्रभावी प्रस्तावित कुकरैल नाइट सफारी व चिड़ियाघर की स्थापना हेतु भारत सरकार के माध्यम से माo सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति लिया जाना अपेक्षित होगा।
उपरोक्त प्रकरण में शासन ने आईo एo दाखिल करने हेतु विधिक परामर्श के साथ तीन दिन में रिपोर्ट तलब की है। आपको ये भी बता दें कि NGT द्वारा पूर्व में इस परियोजना पर रोक लगा दी है जिसपर 21 अप्रैल 2025 को अगली सुनवाई होनी है।
…क्रमशः