एनीमिया मतलब खून की कमी।एनीमिया दुनिया भर में लगभग 1.62 बिलियन लोगों को प्रभावित करता है। यह शरीर में आयरन की कमी के कारण होता है, जिससे हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है।हमारी रक्त कोशिकायें आयरन से बनी होती हैं, आयरन की कमी होने से रक्त कोशिकाओं के निर्माण के गलत प्रभाव पड़ता है, नतीजतन शरीर में खून की कमी हो जाती है।इस आर्टिकल में हम एनीमिया के लक्षण, एनीमिया के कारण और एनीमिया के रोगी को क्या खाना चाहिए, एनीमिया होने पर क्या नही खाना चाहिए के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य स्तर से नीचे चला जाता है।आरबीसी आपके शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन को पहुंचाने में मदद करता है।
हीमोग्लोबिन, आरबीसी में मौजूद एक लौह युक्त प्रोटीन होता है जो रक्त कोशिकाओं को लाल रंग प्रदान करता है। यह ऑक्सीजन को बांधने, संक्रमण से लड़ने और रक्त के थक्के के निर्माण से रक्त के नुकसान को रोकने में भी मदद करता है।एनीमिया होने के परिणामस्वरूप आपके शरीर के विभिन्न भागों में कम ऑक्सीजन पहुंचती है।
नतीजतन, आप निम्नलिखित लक्षण विकसित करते हैं।
एनीमिया विटामिन बी-12 और आयरन की कमी से होता है।
आरबीसी गिनती या हीमोग्लोबिन की कमी निम्न तीन मुख्य कारणों से हो सकती है।
एनीमिया होने पर आप निम्न पोषक तत्वों को अपने आहार में शामिल करे।
विटामिन सी ज्यादातर खट्टे फलों में पाया जाता है। नारंगी, सेब, नींबू, अंगूर, आंवले, सेब और जामुन जैसे फल विटामिन सी और अन्य आवश्यक विटामिन और खनिजों से भरे होते हैं जो आरबीसी और हीमोग्लोबिन के उत्पादन में मदद करते हैं।
सावधानी: दूध या किसी भी दूध आधारित उत्पादों को पीने के बाद विटामिन सी का सेवन करने से बचें।
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि प्रोबायोटिक्स पाचन और आंत समारोह में सुधार करने में मदद करते हैं, क्योंकि प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थों में गुड गट बैक्टीरिया होते हैं।वैज्ञानिकों ने पाया है कि प्रोबायोटिक्स विटामिन बी 12 और आयरन के स्तर को बढ़ाते हैं।दही प्रोबायोटिक्स का एक अच्छा स्रोत है। एक अध्ययन में एनीमिया से पीड़ित मरीजों को दही का सेवन करने को दिया गया कुछ दिन बाद उनके आरबीसी के स्तर और हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार देखा गया है।दही एक अत्यंत स्वादिष्ट आहार है और इसको मधुमेह और मोटापा से पीड़ित लोग भी खा सकते हैं, बस डायबिटीज से पीड़ित रोगी दही में चीनी न मिलाएं।
सावधानी: अधिक मात्रा में प्रोबायोटिक्स का सेवन न करें क्योंकि अधिक मात्रा में प्रोबायोटिक का सेवन करके आपको पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
चौराई, पालक, मूली का साग, सरसों का साग, ब्रोकोली और चना जैसी हरी सब्जी आयरन के प्रधान स्रोत हैं।नियमित रूप से इनका सेवन करने से एनीमिया से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है।
सावधानी: अधिक मात्रा में हरे रस या हरी सब्जियों का सेवन न करें।
प्रति दिन अधिकतम 3-4 कप ही हरी सब्जियों का सेवन करे।
जब कोशिकाओं के पोषण और फंक्शन की बात आती है तो विटामिन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।विटामिन की कमी से एनीमिया सहित गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। नियमित रूप से साग, अंडे और बीन्स का सेवन विटामिन बी 12 और फोलेट की कमी को रोकता है।अगर आपको साग, अंडे और बीन्स न पसंद हो तो आप डॉक्टर द्वारा प्रस्तावित विटामिन बी 12 और फोलेट की खुराक का सेवन भी कर सकते हैं।
आप हरे या पके केले का सेवन करके कम समय में ही अपने आयरन के स्तर में सुधार कर सकते हैं।केले लोहे, पोटेशियम, विटामिन सी और फोलेट से भरे होते हैं। वे आपके शरीर को स्वस्थ आरबीसी उत्पन्न करने और हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
सावधानी: केले में कैलोरी और पोटेशियम की उच्च मात्रा होती है, इसलिए केले के अत्यधिक सेवन से वजन बढ़ने और हाइपरकेलेमिया की समस्या हो सकता है।
खजूर और किशमिश आयरन और विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं। विटामिन सी आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करता है और शरीर में आयरन के अवशोषण में सुधार करता है।
सावधानी: खजूर और किशमिश में उच्च मात्रा में शुगर होती है जो आपके रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकते हैं इसलिए मधुमेह के रोगी डॉक्टर के परामर्श के बाद ही इनका सेवन करें।
एनीमिया में निम्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए;