राम निवास शर्मा मैथिल
शाहजहांपुर/जलालाबाद । कोई यूं ही बेवफा नहीं होता आखिर उनकी भी कुछ मजबूरियां रही होंगी, यह पंक्तियां भले ही एक कवि सम्मेलन में कहीं जाने वाली हैं परंतु इन हालातों को देखकर यह पंक्तियां यहां पर बिल्कुल सटीक चरितार्थ हो रही हैं ।कई हादसे ऐसे होते हैं जिनकी लोग नजीर पेश करते हैं ऐसा ही मामला एक जलालाबाद कस्बे का सामने आया जिसकी सालों साल लोग नजीर पेश करा करेंगे।

हादसे में पति हुआ विकलांग
कस्बे के रहने वाले एक व्यक्ति ने बड़े हर्षोल्लास के साथ विगत 5 वर्ष पूर्व दोनों परिवारों की मर्जी से हिंदू रीति रिवाज के हिसाब से अपना विवाह किया था। उसके बाद दोनों पति पत्नी बड़े आराम से अपने जीवन यापन करते रहे ।इस बीच इनके 3 बच्चों का भी जन्म हुआ । परंतु उसके बाद पति की किस्मत रूठ गई और उसका एक एक्सीडेंट दुर्घटना होने के कारण पति शारीरिक रूप से विकलांग हो गया ।
पत्नी का हो गया अवैध संबंध
इसी बीच जनपद हरदोई के निवासी एक व्यक्ति से पत्नी की आंखें दो-चार हो गयी । परिणाम स्वरूप पत्नी के घर पर उस व्यक्ति का आना जाना हो गया और अपने परिवार की तरह उस व्यक्ति ने उस पति पत्नी का टेंपो चलाकर भरण पोषण करना आरंभ कर दिया ।
पति को भी सहारा चाहिए था मजबूर लाचार पति ने अपने 3 बच्चों सहित अपनी पत्नी को भी उसके आशिक को दान करने का फैसला कर डाला।
प्रेमी को उसके घरवालों ने निकाला
जब प्रेमी के परिवार को पूरी घटना की जानकारी लगी तो प्रेमी के परिवार ने पहले तो प्रेमी को अपनी संपत्ति से बेदखल करते हुए उसे घर से निकल जाने का फरमान सुना डाला ।
ये है पूरा घटनाक्रम
परंतु आज प्रेमी के परिवार जनों का प्रेम अपने पुत्र के प्रति फिर एक बार जागा और उस विकलांग पति और उसकी पत्नी से अपने पुत्र को उनके चंगुल से छुड़ाने के लिए कोतवाली में तहरीर दे दी। मामला प्रकाश में आते ही आनन फानन पत्रकार भी मौके पर पहुंच गए प्राप्त जानकारी के अनुसार कस्बे के मोहल्ला प्रेम नगर निवासी जयकरण पुत्र मनसुखलाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि विगत 5 वर्ष पूर्व मेरी शादी बड़े धूमधाम से सरिता के साथ हुई थी, परंतु 2 वर्ष पूर्व सड़क दुर्घटना होने के कारण मैं पूरी तरह अस्वस्थ हो गया ।
इसी बीच मेरी पत्नी सरिता की ग्राम मूलन पुर तहसील सवायजपुर जनपद हरदोई निवासी आशुतोष पुत्र नवल किशोर शुक्ला से कहीं मुलाकात हो गई। मेरी पत्नी तथा आशुतोष काफी समय तक एक दूसरे से टेलीफोन के जरिए बातचीत करते रहे ।कुछ दिन पूर्व जब मुझे इसका आभास हुआ तो मैंने उनके पालन पोषण हेतु आशुतोष को जिम्मेदारी देते हुए इस शर्त के साथ इस घर में मुझे रहने की जगह और दो वक्त की रोटी चाहिए जो आशुतोष ने पूरी तरह मंजूर कर ली और मेरी पत्नी सरिता आशुतोष के साथ संतुष्ट होकर उसी घर में रहने लगी ।
इस संदर्भ में जब आशुतोष से बात की गई तो उसने बताया विगत 17 दिन पूर्व मेरी पुत्री जिसका नाम शिवांगी रखा गया है उसका जन्म हुआ और वह मेरी पुत्री है मैं अपनी पत्नी और पुत्री को नहीं छोड़ सकता हूं परंतु मेरे परिजन जबरन हम पर दबाव बना रहे हैं इन सब को छोड़कर अपने घर वापसी कर लो।
दरोगा बोला, आज तक नहीं देखा एसा केस
मामला हैरान कर देने वाला था थाने के सभी पुलिसकर्मी इस मामले को लेकर आपस में कानाफूसी करते हुए दिखाई दिए ।खबर लिखे जाने तक दोनों परिवारों के बीच कोई समझौता नहीं हो सका था। वही जांच कर रहे मौके पर दरोगा का कहना यह था कि अपने पूरे 16 साल के कार्यकाल में इस तरह की घटना पहले कभी देखने या सुनने में नहीं आई अंत में दरोगा जी का भी यही कहने लगे कि कोई यूं ही बेवफा नहीं होता आखिर उनकी भी कुछ मजबूरियां रही होंगी और यह मामला पूरे कस्बे में आग की तरह फैल गया जो सुनता था उसी के पैरों तले जमीन खिसक जाती थी इस कारणवश चर्चाओं का बाजार पूरी तरह गर्म रहा।
_1549759625_100x75.png)
_319444470_100x75.png)
_1180945512_100x75.png)
_441638052_100x75.png)
_1195473182_100x75.png)