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IAS Officer: विवादित और अब सेवा से वंचित पूर्व प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने पूरे यूपीएससी को हिलाकर रख दिया है, क्योंकि वह फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर देश के लोक लोक सेवा आयोग को धोखा देने में सफल रही और उसने सीएसई नियमों के तहत अनुमति से अधिक अवसर प्राप्त किए।

महाराष्ट्र में प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी के रूप में कार्यरत 34 वर्षीय पूजा खेडकर कथित तौर पर सत्ता के दुरुपयोग को लेकर विवादों में थीं। उन्हें सायरन और वीआईपी नंबर प्लेट वाली ऑडी कार का उपयोग करते देखे जाने के बाद पुणे से वाशिम स्थानांतरित कर दिया गया था।

आज संघ लोक सेवा आयोग ने कहा कि उसने उपलब्ध रिकॉर्ड की सावधानीपूर्वक जांच की है और पूजा को सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है। यूपीएससी ने एक बयान में कहा, "सीएसई-2022 के लिए उनकी अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है और उन्हें यूपीएससी की सभी भविष्य की परीक्षाओं/चयनों से भी स्थायी रूप से वंचित कर दिया गया है।"

आयोग ने कुछ चौंकाने वाली जानकारी का खुलासा किया कि कैसे पूजा ने वर्षों से कई बार सिविल सेवा के लिए आवेदन करते समय अपना नाम और यहां तक ​​कि अपने माता-पिता का नाम बदलकर ज्यादा नंबर पाने का प्रयास किया।

बता दें कि 2023 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने यूपीएससी परीक्षा में अखिल भारतीय रैंक (एआईआर) 841 हासिल की है। पूजा खेडकर एक हाई-प्रोफाइल परिवार से आती हैं। उनके पिता दिलीप खेडकर एक सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी हैं।

12 बार परीक्षा में लिया हिस्सा

यूपीएससी ने कहा कि वह यह निर्धारित नहीं कर सकता कि उसने कितनी बार प्रयास किए, लेकिन रिपोर्ट कहती है कि पूजा ने 12 बार परीक्षा में भाग लिया। सामान्य श्रेणी के लिए यूपीएससी परीक्षा में अधिकतम प्रयासों की संख्या 6 है, जबकि ओबीसी के लिए यह 9 है।

यूपीएससी ने अपने बयान में कहा कि उसने 2009 से 2023 तक यूपीएससी द्वारा अनुशंसित 15,000 से अधिक उम्मीदवारों के आंकड़ों की गहन जांच की, जिसमें उनके द्वारा किए गए प्रयासों की संख्या भी शामिल थी, और पाया कि पूजा खेडकर को छोड़कर किसी अन्य उम्मीदवार ने सीएसई नियमों के तहत अनुमत संख्या से अधिक प्रयास नहीं किए।

आयोग ने अपने बयान में कहा, "पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के एकमात्र मामले में यूपीएससी की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) उनके प्रयासों की संख्या का पता नहीं लगा सकी, मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण कि उन्होंने न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था। यूपीएससी एसओपी को और मजबूत बनाने की प्रक्रिया में है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसा मामला दोबारा न हो।"
 

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