चीन में फैले कोरोना वायरस ने अब पहुंच दुनियाभर में बना ली है, जिसके बाद करीब 65000 लोग इसके चपेट में आ चुके हैं. वहीँ चीन में मरने वाले लोगों की संख्या अब 1500 के पार पहुंच गई हैं. ये तो था चीन का हाल, लेकिन फर्ज करिए ये बीमारी भारत में फैलती तो क्या स्थिति होती। क्या चीन जैसे इस बीमारी को रोकने के लिए भारत के पास क्षमता है.
आपको बता दें की अगर कोरोना वायरस (Coronavirus) फैला तो इतने कम डॉक्टरों के साथ भारत इस महामारी से लड़ पाएगा. जबकि, एक्सपर्ट डॉक्टरों की करीब 82 फीसदी कमी है. वहीँ स्वास्थ्य मामलों के जानकार अरविंद मिश्रा कहते हैं कि सरकार ने ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे के नाम पर अस्पतालों और हेल्थ सेंटर की इमारतें तो खड़ी कर दी हैं लेकिन इनको क्रियाशील बनाने के लिए मानव संसाधनों की भारी कमी है.
अगर देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) फैलता है तो भारत में लोगों के इलाज के लिए डॉक्टरों की किल्लत हो जाएगी. डॉक्टरों की कमी का आंकड़ा 19 जुलाई 2019 को लोकसभा में स्वास्थ्य मंत्रालय के राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने एक सवाल के जवाब में पेश किया था.
लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार PHC पर स्वीकृत कुल 158,417 पदों में से अभी 34,417 पद सैंक्शन किए गए हैं. इनमें से 27,567 पदों पर ही डॉक्टर काम कर रहे हैं. यानी सैंक्शन पदों में से भी 8572 पद खाली हैं. यानी इतने पदों पर डॉक्टर हैं ही नहीं.
सिर्फ इतना ही नहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (Community Health Center) पर जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर्स (GDMO) की कमी है. यहां कुल 17321 स्वीकृत पद हैं जबकि काम कर रहे हैं सिर्फ 17019 डॉक्टर्स. यानी कुल मिलाकर 2510 मेडिकल ऑफिसर्स की कमी है.
देश के सभी जिला अस्पतालों में डॉक्टरों के कुल स्वीकृत 28566 पद हैं. लेकिन यहां भी 24899 डॉक्टर ही रहते हैं. यानी 3667 डॉक्टरों की कमी है. सब-डिविजनल अस्पतालों में 19576 डॉक्टर होने चाहिए लेकिन हैं सिर्फ 12432 डॉक्टर. यानी 7,144 डॉक्टरों की कमी है.
देश में कुल 22496 एक्सपर्ट डॉक्टर होने चाहिए. इनमें से 13635 पद स्वीकृत हैं. लेकिन काम करने आते हैं सिर्फ 4074 एक्सपर्ट डॉक्टर. यानी स्वीकृत पदों में से 10051 पद खाली हैं. जितने एक्सपर्ट डॉक्टर होने चाहिए उनमें देखें तो देश में 18422 डॉक्टरों की कमी है यानी 81.89 फीसदी.