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किसानों का आंदोलन जोरों पर चल रहा है। दिल्ली चलो का नारा लगाते हुए किसान हरियाणा के अंबाला में शंभू बॉर्डर पर विराजमान हैं। उधर, दिल्ली की सीमाएं सील कर दी गई हैं। इस आंदोलन के चलते दिल्ली से दिल्ली या एनसीआर में काम करने जाने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

इस बीच उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) का अनुमान है कि अगर किसानों का आंदोलन लंबा चला तो रोजाना 500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। पीएचडीसीसीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 70 लाख कर्मचारी भी प्रभावित होंगे।

पीएचडीसीसीआई के मुताबिक, किसान आंदोलन के लंबे समय तक चलने से उत्तर भारत के राज्यों में कारोबार को 'गंभीर नुकसान' हो सकता है। किसान आंदोलन का रोजगार पर भी बड़ा असर पड़ेगा। अनुमान के मुताबिक किसान आंदोलन से प्रतिदिन 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है।

PHDCCI के प्रमुख संजीव अग्रवाल ने कहा कि अगर किसानों का आंदोलन लंबा चला तो प्रतिदिन 500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। इसका असर उत्तर भारतीय राज्यों, खासकर हरियाणा, पंजाब और दिल्ली की चौथी तिमाही के जीएसडीपी पर पड़ेगा। उद्योग मंडल को उम्मीद है कि देश के सभी लोगों के कल्याण के लिए सरकार और किसानों दोनों की सहमति से जल्द से जल्द कोई समाधान निकाला जाएगा। वहीं, किसान आंदोलन का पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में एमएसएमई पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। 

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