ICMR की रिपोर्ट के अनुसार, बीते दो-तीन महीनों से उप-प्रकार के इन्फ्लूएंजा वायरस H3N2 का प्रसार हो रहा है. देश के कई हिस्सों में इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं, जिससे हॉस्पिटल में एडमिट मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. आइए जानते हैं क्यों बढ़ रहे हैं फ्लू के मामले और इनसे बचाव के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
जानकारी के मुताबिक, फ्लू के मामलों में वृद्धि H3N2 वायरस के कारण होती है, जो कि इन्फ्लूएंजा A का एक उप वेरिएंट है। पिछले दो-तीन महीनों से एच3एन2 निरंतर फैल रहा है, इसलिए अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या भी बढ़ रही है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि फ्लू वाला बुखार तीन दिन बाद खत्म हो जाता है मगर खांसी तीन हफ्ते तक रह सकती है। लोगों को एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक सेवन से बचने की सलाह दी जाती है।
आईएमए ने एक बयान जारी कर कहा, 'जो लोग इस समय बीमारी की जानकारी के बिना एजिथ्रोमाइसिन और एमोक्सिक्लेव जैसे एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं, उन्हें तुरंत लेना बंद कर देना चाहिए।' यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध को बढ़ाता है, जिसका अर्थ है कि प्रतिरोध के कारण जब इसकी वास्तव में आवश्यकता होती है तो यह काम नहीं करेगा।
आईएमए ने कहा कि वायरल के मामले ज्यादातर 15 साल से कम उम्र के लोगों और 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में बुखार के साथ बढ़ते श्वसन संक्रमण के कारण देखे जा रहे हैं। एसोसिएशन ने डॉक्टरों से कहा है कि मरीज को एंटीबायोटिक्स देने के बजाय बीमारी का इलाज लिखें।
सबसे ज्यादा दुरुपयोग की जाने वाली एंटीबायोटिक्स एमोक्सिसिलिन, नॉरफ़्लॉक्सासिन, ओप्रोफ़्लॉक्सासिन, ओफ़्लॉक्सासिन और लेवोफ़्लॉक्सासिन हैं। आईएमए ने कहा कि उनका उपयोग डायरिया और यूटीआई के इलाज के लिए किया जाता है।
इसके अलावा आईसीएमआर ने खुद को संक्रमण से बचाने के लिए क्या करें और क्या न करें का भी जिक्र किया है। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से साबुन से हाथ धोएं, चेहरे पर मास्क लगाएं और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें।
आईसीएमआर बुखार और बदन दर्द होने पर पैरासिटामोल लेने की सलाह देता है। इसके अलावा हाथ मिलाने से भी बचने को कहा गया है। ICMR ने कहा कि एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाएं डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद ही लेनी चाहिए।
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